इस अजनबी सी दुनिया में,
अकेला इक ख्वाब हूँ।
सवालों से खफ़ा सा, चोट सा जवाब हूँ।
जो ना समझ सके, उसके लिये "कौन"।
जो समझ चुके, उसके लिये किताब हूँ।
दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा।
सबसे नशीली और बदनाम शराब हूँ।
सर उठा के देखो, वो तुमको भी तो देखता है।
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ।
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे।
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ...
इस अजनबी दुनिया में,
अकेला सा इक ख्वाब हूँ।
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे।
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ...
इस अजनबी दुनिया में,
अकेला सा इक ख्वाब हूँ।
बहुत खूब।