तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

नयी सुबह

साँझ ढलने लगी है....
दिन के तपते हुए सूरज को,
रात धीरे-धीरे अपनी आगोश में ले रही है...
देखो न! सूरज का ये सिन्दूरी रंग दिल को कितना सकून पहुंचा रहा है...
माँ कहती हैं जब कभी तुम थक जाओ, तो ढलते हुए सूरज के सामने खड़े हो जाओ।
कितनी भी थकन हो उतर जायेगी...
मुझे ढलता सूरज देखना बहुत पसंद है।
कहने को तो ये सूरज ढल रहा है, लेकिन सिर्फ यहीं पर...
ये सूरज बेशक यहाँ ढल रहा है, लेकिन कहीं और यही सूरज उगने के लिए तैयार है
तैयार है एक नया सवेरा, एक नयी सुबह, एक नया दिन लाने को...
दूर क्षितिज पर ऐसे लगता है की जैसे सूरज धरती की गोद में समाता जा रहा है...
दुनिया कहती है की सूरज डूब रहा है, लेकिन इस बात से सब अंजान हैं की...
सूरज कभी नहीं डूबता।
क्योंकि उसका काम है बस रोशनी करना...
वो यहाँ डूबेगा, लेकिन कहीं और उदय होगा... क्योंकि उसे लानी ही है एक नयी सुबह...

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