तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

तेरी दुनिया के निराले, दस्तूर हैं...

पता  नहीं क्या लिखा है, बस दिल में आया ओर लिख दिया.. अगर कुछ उल्टा-पुल्टा हो कृपया बेझिझक बताइयेगा..जिससे की मैं सुधार सकूँ...
स्नेह
मीत 


 तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
ग़मज़दा चेहरों पे ये कैसा,
नूर है...
खा रहा है गालियाँ, बदनाम हो रहा है,
लोग कहते हैं यही तो,
मशहूर है...
मुह सीये बैठे हैं, दिल में सबके
चोर है...
खिंच रहे हैं गर्त में, कोन सी ये,
डोर है...
फट रहे कानों के परदे,
किसके सीने का
शोर है...
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
क्यों नहीं पहुँचती है दुआ
खुदा तक...
आसमां धरती से क्या हो गया
दूर है...
उठे हुए हाथ भी अब थकन से
चूर हैं...
या खुदा मैं जान लूं, तू मीत  से भी
मजबूर है...
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

प्यार तुम्हारा मोर पंख सा...


पास नहीं हो दूर हो तुम,
पर बसे हुए हो नयनों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में

सदा नहीं अब गूंज रही है,
सन्नाटा बोले कर्णों पे
पर गीत तुम्हारे सजल सजल,
शब्द बने हैं अधरों पे

काश कहीं से आ जाते तुम,
कसक मिटाते जन्मों की
साथ बैठ कर बातें होती,
तेरे मेरे सपनो की

धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
 जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
                            --मीत


© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
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