काश मैं एक दीपक होता...
जल जाता अपनी ही आग में
पर अँधेरा तो ना होता...
काश मैं एक कम्बल होता...
ओढ़कर सो लेता मुझे,
कोई न कोई फुटपाथ पे
सर्दी की रात में कोई ठिठुरता ना सोता...
सोचता हूँ...
बन जाऊँ एक जोकर...
दुखता है ये दिल,
जब कोई बच्चा है रोता...
वक्त के सलीब पर टंगी है मसीहा सी ज़िन्दगी...
क्यों नहीं किसी के काम ये आ जाती,
क्यों मेरी जान कोई नहीं लेता...?
ऐ काश के बन जाता
मैं आंसूं ही नयनों का
रिस-रिस के प्राण खोता...
और फ़िर से पैदा होता...
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ऐ काश के बन जाता
मैं आंसूं ही नयनों का
रिस-रिस के प्राण खोता...
और फ़िर से पैदा होता...
" uf! kita dard hai, bhut bechanee se bhree....."
Regard
bahot hi practial bat likhi hai aaapne sundar rachana ke liye badhai....
regards
Arsh
मीत भाई बहुत दर्द हे आप की इस कविता मे आप ने अपने दिल की बात लिख दी हे.
धन्यवाद
आपकी कविता पढ कर मन में एक ही विचार आता है कि काश आप जैसा दिल सबके पास होता, तो अपना यह देख वाकई में स्वर्ग बन जाता।
ham sab sirf ek achche insaan ban jaye to vo sab ho sakta hai jiski aapne kalpna ki hai.mai to itna hi chahti hoon ki kash mai apne manavta dharm ko hi nibha pati....kyonki mooh pher kar chal dene ki hi aadat ban chuki hai hamari
har shabd kaabil-e-taariif hai
वक्त के सलीब पर टंगी है मसीहा सी ज़िन्दगी...bahut hi sundar aur satik lagi aapki yeh pankti
मीत क्या बात है बहुत ही उम्दा लिखा हैं।
काश मैं एक कम्बल होता...ओढ़कर सो लेता मुझे,कोई न कोई फुटपाथ पेसर्दी की रात में कोई ठिठुरता ना सोता...सोचता हूँ...बन जाऊँ एक जोकर...दुखता है ये दिल,जब कोई बच्चा है रोता
बन जाऊँ एक जोकर...
दुखता है ये दिल,
जब कोई बच्चा है रोता...
waah meet ji...lajawaab kavita hai. seedhe dil ko lagi .
kash main bhi is dard ka koi ek tukda hota . subak subak kr sath sath thoda thoda rota.
bahut hi achchhi rachana sahab . wakaee aanand aa gya .
बहुत अच्छी नज़्म है...बहुत ही कम लोग होंगे जो आपकी तरह दूसरों के बारे में सोचते होंगे...
बन जाऊँ एक जोकर...
दुखता है ये दिल,
जब कोई बच्चा है रोता...
ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी !!!!!!!
mitji... koi labz nahi hamre pass
sirf itnak ahenge..
kaash mai do boond aansoo hoti
kisika gam halka kar sakti..
wah...
sunder bhavabhivyakti...
bhut hi badhiya. kya baat hai aaj kal bhut hi gahari rachanaye ki ja rhi hai. jari rhe.