तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

मैं हूँ लड़की...







तुम में और मुझमें क्या है अलग?
क्या है अंतर?
क्यों मिलता है मुझी को गम
और तुमको जश्न?
मेरी ही आँखों में है प्यास
और तुम्हारी आँखें क्यों रहती हैं तृप्त?
हमारी तो जननी भी एक है...
फिर क्यों है? उसकी नज़रों में भी खोट?
क्या वो यह अंतर बताएगी?
नहीं! वो ना बता पायेगी...
यह अंतर तो किसी और ने बनाया है...
शायद उसकी भी जननी ने?
नहीं शायद उसकी भी जननी ने?
या फिर यह अंतर बरसों से चला आ रहा है?
तभी तो...
भरे दरबार में द्रोपदी निर्वस्त्र हुई,
सती भी कोई औरत ही हुई...
मीरा को ही पीना पड़ा ज़हर का प्याला,
और अग्निपरीक्षा भी सीता की हुई...
क्यों बलात्कार भी लड़की का ही होता है,
दहेज़ के लिए भी उसी को जलना होता है?
पैदा हो लड़का तो ढोल बजता है,
लड़की को गर्भ में भी मरना पड़ता है...
अब समझ में आया यह अंतर...
क्यों माँ देखती है मुझे तिरस्कार से,
और तुम्हें प्यार से।
क्योंकि तुम हो लड़के और मैं हूँ लड़की
केवल लड़की...





© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
7 Responses
  1. L.Goswami Says:

    अत्यन्त मार्मिक .क्या खूब लिखा है.


  2. बहुत अच्छी पोस्ट
    उम्दा रचना


  3. हितेश जी बहुत हि गहरा मुद्दा छेड़ दिया है. एक बात आपने एक लड़के होकर एक लड़की के बारे में लिखा ये बहुत ही बड़ी बात है. आपने पिंजर का एक गाना तो सुना ही होगा. जो एक लड़की गाती है वो कुछ इस तरह से है.... बेटो को देती है महल अटरिया बेटी को देती परदेश री........... this is my favourite song. आपकी कविता ने इसी गाने को एक नया आयाम दिया है. very very nice.
    और हाँ एक बात और मैने भी कुछ समय पहले ही अपना ब्लॉग बनाया है. और इतनी जल्दी आपके favourite ब्लॉग में मेरा ब्लॉग भी आता है. बहुत बहुत आभार. सच बताये तो आप सभी की वजह से मुझे लिखना आया है. शायद आपने मेरी पहले की पोस्ट नही पढ़ी है. अगर आप पढेगे तो आपको पता लग जाएगा कि अन्तर आया है.


  4. seema gupta Says:

    अब समझ में आया यह अंतर...
    क्यों माँ देखती है मुझे तिरस्कार से,
    और तुम्हें प्यार से।
    क्योंकि तुम हो लड़के और मैं हूँ लड़की
    केवल लड़की...
    " it is fact and we cant deny it, but its very painful fact. the way u have describe the pain and sorrow of being a girl it is appreciable"
    Regards


  5. पैदा हो लड़का तो ढोल बजता है,
    लड़की को गर्भ में भी मरना पड़ता है...aadhi aabadi ki taklif ko aapne aavaaj di.danyavaad.atyant marmik rachna.aaj bhi gaon me ladki ka paida hona shok ka vishay ban jaataa hai.jiska sabse bada karan hai dahej.ye pratha jo kabhi uphaaro ko dene ke roop me shooroo hui thi,aaj ghinauni parampara ban gayi hai......khair aapki rachnae is vishay par aur bhi aayen...intjaar me hoon,......AGLE JANAM MOHE BITIYA NA KIJE.


  6. Anonymous Says:

    bahut accha likha hai .ek ladki ke dard ko bahut is khubsurati ke saath bayan karne ke liye aapko badhai


  7. parul Says:

    acha likha h. ase ache bhav apke hamesha bane rahe


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