संकटों से न तू भाग,
अपना ले सहने का राग...
स्वर्ण भी होता है तब कुंदन,
जब जलाती है उसे आग।
फूल मसला जाता है,
पर फ़िर से खिल जाता है,
काँटों से घिर कर रहता है,
सारी दुनिया महकता है।
परिंदा घोंसला बनाता है,
जो आंधी में उड़ जाता है,
वो फ़िर से उसे सजाता है,
तूफ़ान जब थम जाता है।
रात की आगोश में देख,
सवेरा भी छिप जाता है,
सूर्य के रथ पे सवार हो,
फ़िर से दिन चढ़ जाता है।
घबराकर मुश्किलों से तू,
अश्रू क्यों बहता है।
तोड़ कर इस बुरे स्वप्न को,
नींद से अब तू जाग,
संकटों से न तू भाग,
अपना ले सहने का राग...
स्वर्ण भी होता है तब कुंदन,
जब जलाती है उसे आग...
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रात की आगोश में देख,
सवेरा भी छिप जाता है,
सूर्य के रथ पे सवार हो,
फ़िर से दिन चढ़ जाता है।
bhut hi khubsurat likha hai. ati uttam.
फूल मसला जाता है,
पर फ़िर से खिल जाता है,
par ye line kuch sahi nahi lagi. mera matlab ye hai ki phool jab masala jata hai to fir se khilta nahi hai. mere khayal se agar aap likhte phool jab murjha jata hai to naya fir se khilta hai. ya fir kuch or hona chahiye.
vaise puri kavita bhut hi sundar hai. jari rhe.
बहुत अच्छा लिखा है आप ने धन्यवाद ..
परिंदा घोंसला बनाता है,
जो आंधी में उड़ जाता है,
वो फ़िर से उसे सजाता है,
.....kya struggle hai,aapki poem puri ki puri motivation se bhari hul hai,aapki soch ka dayra..bahut bada hai,optimism srvatr dikhi deta hai,full of energy.
widely appreciated
स्वर्ण भी होता है तब कुंदन,
जब जलाती है उसे आग...
बिलकुल सही कहा, बहुत ही सुन्दर कविता कही हे आप ने धन्यवाद
sabhi ne kuch chhoda hi nahi kahne ko.
lajwab..
स्वागत है आपका.
ब्लॉग की पोस्ट पढ़ डाला.अच्छा प्रयास है.
कभी समय मिले तो इस तरफ भी रुख़ करें.
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घबराकर मुश्किलों से तू,
अश्रू क्यों बहता है।
तोड़ कर इस बुरे स्वप्न को,
नींद से अब तू जाग,.......
स्वर्ण भी होता है तब कुंदन,
जब जलाती है उसे आग...
bahut khubsurat likha hai
रात की आगोश में देख,
सवेरा भी छिप जाता है,
सूर्य के रथ पे सवार हो,
फ़िर से दिन चढ़ जाता है।
motivate karne wali pankti hai badai hoooo.........
regards
Arsh
जन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई
संकटों से न तू भाग,
अपना ले सहने का राग...
स्वर्ण भी होता है तब कुंदन,
जब जलाती है उसे आग...
"very well said, each words narrating a real truth of life, appreciable"
Regards
bahut sundar
apki ye kavita himmat harne valo ke liye kafi prednadai h. apna lakhen jaari rakhe.