तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

समर्पण

मेरे आंगन की क्यारी में खिले हैं, आज
बहुत सारे गेंदे के फूल...
जिन्हें माँ तोड़कर माला बना लेगी और
भगवान की मूरत पे चढा देगी...
कुछ फूल बचेंगे, जिन्हें भगवान के चरणों में जगह मिलेगी...
और कुछ ही देर बाद ये फूल मुरझा जायेंगे...
लेकिन अपनी खुशबू से घर का कोना-कोना महका जायेंगे...
फिर एक पल आयेगा जब ये खुशबू भी चली जाएगी...
माँ कहेगी की फूल सुख गए हैं
इन्हें मसल कर क्यारी में डाल आ
फिर उन्हीं फूलों के बीज से कुछ और नये फूल खिलेंगे....
पर किसी न किसी को समर्पण रहेंगे...

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

0 Responses
Related Posts with Thumbnails