तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

सोचा था की आज तुझे ख़त लिखूं...












सोचा है आज तुझे ख़त लिखूं...
बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं...

आज लिखूं की सुलग रहे अरमानो में,
कैसे ज़हरीले नश्तर चुभ रहे हैं,
गम की काली रात में ये बेबस आंसूं,
थम रहे हैं, थम-थम के बह रहे हैं...
सोचा है आज तुझे ख़त लिखूं...
बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं...

दिल कर रहा है तुझे भूलने की प्रार्थना
और हम तेरे लौट के आने की दुआ कर रहे हैं,
किस तरह तेरे मेरे अफसाने में,
नाम तेरा लेकर लोग हंस रहे हैं,
बदनाम कर रहे हैं रूह के एहसास को,
तेरी चाहत पे इल्जाम गढ़ रहे हैं,
और हम हैं की बस बुत बने,
बेरहम वक्त की हर चोट सह रहे हैं...
सोचा है आज तुझे ख़त लिखूं...
बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं...

काश! तू आ जाए तो,
इस जलते हुए दिल को तेरे सीने के तले
ढेर सा आराम मिले,
तेरी बाँहों में सिमट जाऊँ में,
जिस्म के हर एक ज़ज्बात को,
फ़िर से कोई मकाम मिले...
पर...
ये ख़त कौन ले जाएगा तुझ तक...
खो जाएगा ये तो कहीं...
अजनबी राहें हैं, बेनाम सी गलियां हैं,
और तुम ना जाने कहाँ हो?
कौन देगा तुम्हारे आने की ख़बर मुझको...
आह!
सोचा था की आज तुझे ख़त लिखूं...
बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं...

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
12 Responses
  1. ये ख़त कौन ले जाएगा तुझ तक...
    खो जाएगा ये तो कहीं...
    अजनबी राहें हैं, बेनाम सी गलियां हैं,
    और तुम ना जाने कहाँ हो?
    कौन देगा तुम्हारे आने की ख़बर मुझको...
    आह!
    सोचा था की आज तुझे ख़त लिखूं...
    बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं..



    बहुत ही सुंदर कविता लिखी है मीत जी आपने साभार


  2. bahut sundar nazm...dil ko chhoo gayi.


  3. सोचा था की आज तुझे ख़त लिखूं...
    बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं..

    bahut khoob........bahut achhe.....


  4. seema gupta Says:

    "socha ke thuje kht likhu"
    "wah kha soch hai, bhut sunder lgee ye lines, such impressive words and thoughts"

    Regards


  5. seema gupta Says:

    "socha ke thuje kht likhu"
    "wah kha soch hai, bhut sunder lgee ye lines, such impressive words and thoughts"

    Regards


  6. sochiye mt khat likh hi dijiye. nahi mail kar dijiye. le jane ki bhi dikkat nahi aayegi.
    bhut sundar rachana. or bhi sundar rachnye aap kare aesi meri kamana hai.


  7. शोभा Says:

    बहुत अच्छा लिखा है. बधाई स्वीकारें. सस्नेह


  8. बहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें


  9. सोचा था की आज तुझे ख़त लिखूं...
    बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं...
    अजनबी राहें हैं, बेनाम सी गलियां हैं,
    और तुम ना जाने कहाँ हो?

    बहुत खूब। मीत जी। आपके ज़ज़्बात दिल को छू जाते है।


  10. मीत भाई बहुत ही सुन्दर , खत कोन ले .....
    बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं....
    क्या बात हे. धन्यवाद


  11. सुंदर कविता


  12. ये ख़त कौन ले जाएगा तुझ तक...
    खो जाएगा ये तो कहीं...
    अजनबी राहें हैं, बेनाम सी गलियां हैं,
    और तुम ना जाने कहाँ हो?
    कौन देगा तुम्हारे आने की ख़बर मुझको...
    आह!
    सोचा था की आज तुझे ख़त लिखूं...
    बिन तेरे कैसे गुजर रहा है, वो वक्त लिखूं..

    अहसासों को उकेरती इस भावात्मक कविता के लिये साधुवाद


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