जब माँ बचपन में,
डांट देती थी..
तुम्ही तो दुलारते थे,
पापा...
जब भागते-भागते में,
खा जाता था ठोकर,
तुम ही तो सँभालते थे,
पापा...
जीवन का हर सुंदर क्षण,
तुम्हारा ही तो,
कर्जदार है!
पापा...
पर पापा...?
आज जब तुमको,
मेरी जरुरत...
तो.. में लाचार हूँ पापा...
तुम्हारे अधूरे सपनों की किरचें,
आँखों में चुभती हैं,
पापा...
डांट देती थी..
तुम्ही तो दुलारते थे,
पापा...
जब भागते-भागते में,
खा जाता था ठोकर,
तुम ही तो सँभालते थे,
पापा...
जीवन का हर सुंदर क्षण,
तुम्हारा ही तो,
कर्जदार है!
पापा...
पर पापा...?
आज जब तुमको,
मेरी जरुरत...
तो.. में लाचार हूँ पापा...
तुम्हारे अधूरे सपनों की किरचें,
आँखों में चुभती हैं,
पापा...
नहीं जानता की कैसे,
इन्हे मैं पूरा करूँगा,
पर तैयार हूँ
पापा...
तुम्हारी आँखों में,
एक पिता के एहसास को,
महसूस करता हूँ मैं,
पापा...
तुमने तो कभी कुछ,
ना कहा मुझसे,
पर मैं हर बात सुनता हूँ
पापा...
मैं तुम्हें सबसे ज्यादा,
प्यार करता हूँ पापा...
---------मीत
तुम्हारी आँखों में,
एक पिता के एहसास को,
महसूस करता हूँ मैं,
पापा...
तुमने तो कभी कुछ,
ना कहा मुझसे,
पर मैं हर बात सुनता हूँ
पापा...
मैं तुम्हें सबसे ज्यादा,
प्यार करता हूँ पापा...
---------मीत
अविनाश वाचस्पति जी ने पिताजी के लिए एक ब्लॉग बनाया है, उन्होंने मुझे उस ब्लॉग पर पिता के लिए कुछ कहने को जोड़ा और मेरे पिता के प्रति मेरे एहसास शब्दों में बह गए...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
जीवन का हर सुंदर क्षण,
तुम्हारा ही तो,
कर्जदार है!
पापा...
पर पापा...?
आज जब तुमको,
मेरी जरुरत...
तो.. में लाचार हूँ पापा...
मित्र माता और भगवान् का ही रूप है किसी ने खूब ही कहा है की जहाँ में भगबान हर जगह नहीं पहुच सकता था इसी लिए उसने माता और पिता बनाये बहुत बेहतेरीन कविता मित्र मेरा
प्रणाम स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
बहुत अच्छी कविता है.
पापा के लिए लिखी आप की यह कविता मन के भाव अभिव्यक्त करने में सफल है..ishwar से प्रार्थना है कि आप अपने पापा के सपनो को पूरा कर पायें --शुभकामनायें
आज जब तुमको,
मेरी जरुरत...
तो.. में लाचार हूँ पापा...
तुम्हारे अधूरे सपनों की किरचें,
आँखों में चुभती हैं,
" बेहद भावुक पंक्तियाँ...."
regards
बहुत सुंदर और अपने भावों को बडी सशक्तता से आपने अभिव्यक्ति दी है. हार्दिक बधाई.
रामराम.
आपने हर पिता की छवि अपने शब्दों में उतार दी है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत ही सुंदर, ढंग से आप ने मन की बात कही, जबाब नही आप की कलम का
धन्यवाद
पिटा को समर्पित भाव पूर्ण अभिव्यक्ति है ............... सच में आज के समय में जो माँ बाप करते हैं उनका एक क्षण भी हम वापस कर सकें तो .............जीवन सफल है
बहुत भावपूर्ण!
बहुत ही मार्मिक कविता
पिता को समर्पित एक सुन्दर अभिव्यक्ति....
बधाई ....
मीत जी काफी दिनों से मन था कि पिताजी पर कुछ लिखूँ पर जब भी लिखने बैठा तो दिमाग ने साथ नही दिया। पर जब आज आपकी रचना पढी तो ऐसा लगा जैसे मैंने ही लिखी हो। बेहतरीन भाव को सुन्दर शब्दों में पिरो दिया आपने। मुझे बहुत पसंद आई।
aap ne apne papa ke liye bhut bhut bhut achchha likh ahai
badhai
अत्यंत भावपूर्ण कविता !
आप अपने पिता के स्वप्नों को पूरा कर पायें
इसी शुभकामना के साथ
आज की आवाज
बहुत अच्छी कविता है
लाचार हूँ पापा...
चुभती पंक्तियाँ हैं
बहुत भावपूर्ण कविता
निःशब्द
मूक
एक हर पुत्र की ओर से पिता के लिये !
बस एक ’आह!"
Aankh bhar aayi.
भावपूर्ण कविता......हार्दिक बधाई...