तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...

ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
पीपल पे रहने आयीं तुम....
मेरे मन को भाई तुम....
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
सांझ ढले तुम आती,
माँ सुनाये ज्यों लोरी,
तुम भी ममत्व गीत हो गाती,
आँगन के पीपल का कोटर,
तुमने आन सजाया है,
क्षण-क्षण विहंस कलाव कर,
हर दिन तुमने चहकाया है,
तुमसे ना कोई परिचय है मेरा,
ना तुमसे है कोई नाता,
पर डाल-डाल ये सफ़र तुम्हारा,
मन को आल्हादित कर जाता,
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
पातियों के झुरमुट से,
नयनों को तुम झपकाती,
उद्धत-उग्र सवेरे मेरे,
फुदक-फुदक कर चहका जाती,
दूर तलक न उड़ना फर्र-फर्र,
आंगन से तुम चुगना दाना,
सदा रहे यहाँ बसर तुम्हारा,
छोड़ इसे तुम कहीं न जाना,
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
पीपल पे रहने आयीं तुम....
मेरे मन को भाई तुम....
_________मीत

परिंदों की दुनिया कितनी सुंदर होती है, सबसे प्यारी , सबसे निश्छल, एक दम सच्ची सी.... सुबह सुबह इनकी चहक सुनने को न मिले तो मन को आराम नहीं मिलता...

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
13 Responses
  1. bahut hi sundar geet gouraya ke liye likha hai ....nishchal our nishkat rachnaa .......atisundar bhaaee


  2. ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
    पीपल पे रहने आयीं तुम....
    मेरे मन को भाई तुम....
    बहुत ही सुंदर गीत.
    धन्यवाद


  3. Alpana Verma Says:

    चिडिया पर कोई गीत बहुत दिनों बाद पढने को मिला.
    'माँ सुनाये ज्यों लोरी,
    तुम भी ममत्व गीत हो गाती,'
    -
    आंगन से तुम चुगना दाना,
    सदा रहे यहाँ बसर तुम्हारा,
    छोड़ इसे तुम कहीं न जाना,

    -सुन्दर भाव!

    -प्रस्तुति पसंद आई.


  4. भाई बहुत ही मन को हर्षित कविता है आपकी. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम


  5. bahut pyari rachba hai
    aapne bilkul sahi kaha


  6. गौरेया गीत सच में अनूठा है । यह आँगन का पंछी सदा मन में फुदकता रहता है । आभार ।


  7. sandhyagupta Says:

    Saral shabdon me sundar prastuti.


  8. सुन्दर गीत लिखा है....... गौरैया को मध्य बना कर............ सुन्दर भाव पिरोये हैं आपने........ सच्मुच्क पंछियों से दिन की शुरुआत हो तो बात ही क्या है


  9. ओ हो ये थी बात। सच दिमाग ज्यादा ही घूमने लगा है। खैर कविता से गीत भी लिखने लगे दोस्त,और वो भी इतने प्यारा सुन्दर लय वाला।
    पीपल पे रहने आयीं तुम....
    मेरे मन को भाई तुम....
    ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
    वाह। क्या लय बनी पूरे गीत की। आपको सच में पक्षियों से प्यार है। जब ही आप सुबह जल्दी उठ जाते है।
    सुबह चिडियों की आवाज मुझे बहुत ही पसंद है। मेरे ननीहाल में एक पक्षी होता है जिसकी आवाज भी मुझे पसंद है कबूतर जैसा होता है।


  10. गौरैया का जवाब नहीं और आपकी कविता तो है ही लाजवाब।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }


  11. मैं पढ़ने वाला था
    पर पढ़ने से पहले
    लगा यह भी तो
    एक प्रयोग ही है
    और अब पहले
    संपर्क ?
    मीत से आज
    मीट करते हैं।


  12. Sajal Ehsaas Says:

    waah janaab aisei kavitaayein darshaati hai ki likhne waale ka range kitna vyaapak hai...bahut achha likha aapne


  13. पक्षियों को जब हम अपने आस-पास चहकते...दाना चुगते..कलरव करते पाते हैँ तो कुछ पल के लिए सब कुछ भूल कर सिर्फ उन्हें ही देखते रह जाते हैँ...

    सुन्दर कविता


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