ना मुझको लेके आना, तुम अपने ख्यालों में
ये ही कसम है तुमको, बस इसको निभा देना।
चाहता था रहना बन के, इक याद तेरे दिल में
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
ताने कसे जो दुनिया, चाहत पे कभी मेरी
तो दर्द अपने दिल का, दिल में ही दबा लेना।
ये ही कसम है तुमको, बस इसको निभा देना...
जो पूछे कोई तुमसे, की क्या था तेरे दिल में
तो धोखा जिंदगी का, तुम मुझको बता देना।
तस्वीर पे तुम मेरी, बस गर्द रहने देना
भूले से कभी उसपे, ऊँगली ना फिरा देना।
जो बात मेरी बिसरी, तुमको कभी रुलाये
आँखों से कभी अपनी, आंसूं ना गिरा देना।
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
ना तुमसे कुछ है माँगा, ना प्यार ही लिया है
बस आंसुओं को अपने, तुम मेरा बना देना।
जिस पल कहेंगी सांसें, ये लम्हा आखिरी है
तो बूंदें आंसुओं की, तुम मुझ पे गिरा देना।
तेरे आंसुओं को पाकर, मेरी रूह चैन लेगी
मेरे जिस्म को तुम देखो, प्यासा ना सुला देना।
ये ही कसम है तुमको, बस इसको निभा देना...
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
ये ही कसम है तुमको, बस इसको निभा देना।
चाहता था रहना बन के, इक याद तेरे दिल में
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
ताने कसे जो दुनिया, चाहत पे कभी मेरी
तो दर्द अपने दिल का, दिल में ही दबा लेना।
ये ही कसम है तुमको, बस इसको निभा देना...
जो पूछे कोई तुमसे, की क्या था तेरे दिल में
तो धोखा जिंदगी का, तुम मुझको बता देना।
तस्वीर पे तुम मेरी, बस गर्द रहने देना
भूले से कभी उसपे, ऊँगली ना फिरा देना।
जो बात मेरी बिसरी, तुमको कभी रुलाये
आँखों से कभी अपनी, आंसूं ना गिरा देना।
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
ना तुमसे कुछ है माँगा, ना प्यार ही लिया है
बस आंसुओं को अपने, तुम मेरा बना देना।
जिस पल कहेंगी सांसें, ये लम्हा आखिरी है
तो बूंदें आंसुओं की, तुम मुझ पे गिरा देना।
तेरे आंसुओं को पाकर, मेरी रूह चैन लेगी
मेरे जिस्म को तुम देखो, प्यासा ना सुला देना।
ये ही कसम है तुमको, बस इसको निभा देना...
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
वाह मीत जी अति सुंदर रचना बधाई हो आपको
जो बात मेरी बिसरी, तुमको कभी रुलाये
आँखों से कभी अपनी, आंसूं ना गिरा देना।
ना याद मुझको करना, हाँ! मुझको भुला देना...
बहुत खूब
अभिवादन ,
सबसे पहले तो एक बहुत ही शानदार और समर्थ ब्लॉग और सुंदर कविता के लिए बधाई
मैने आपके सारे ब्लॉग्स पे आपका उत्कृष्ट लेखन देखा
आपकी सक्रियता के लिए एक बार फिर बधाई
आज मैने भी अपने ब्लॉग पे एक रचना पोस्ट की है
उसकी चार पंक्तियाँ भेज रहा हूँ
" शर्म की बात होगी हमारे लिए
गीत-कविता का मस्तक अगर झुक गया
शर्म की बात होगी हमारे लिए
चुटकुलों से अगर जंग हारी ग़ज़ल "
(शेष रचना व हिन्दी की उत्कृष्ट कविताओं ग़ज़लों के लिए देखें )
http;//mainsamayhun.blogspot.com
परिचय का एक मुक्तक और देखें
हमारी कोशिशें हैं इस, अंधेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस, धरा को जगमगाने की
हमारी आँख ने काफी, बड़ा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक, नया सूरज उगाने की ..........
डॉ उदय 'मणि'
http;//mainsamayhun.blogspot.com
( अच्छा लगेगा यदि मेरा ब्लॉग सक्षम लगने पर उसे भी आप अपनी ब्लॉग लिस्ट मे शामिल करें -धन्यवाद )
मेरे जिस्म को तुम देखो, प्यासा ना सुला देना।
bahut achcha likha hai
are vah Meet ji bhut sundar rachana ki hai. bhav bhi bhut sundar ban pada hai.
agar aap apni kavita me or bhi rang bharna chahate hai to pictures daliye or colourful likhane ki koshish kijiye. vaise ye meri salah hai aap chahe to man sakte hai.
dil ke bhavo ko bahut hi khubsurati se kavita me bayan kar diya.bahut khub...