कल रात मैं अपने ऑफिस से घर के लिए निकला...मैं बस में बैठा था, स्टाप आने में अभी काफी दूरी बाकी थी। मेरा घर पुरानी दिल्ली में है, लेकिन बस अभी लाल किले पर ही थी। तभी मैले-कुचैले कपड़े पहने एक सीधा सा आदमी मेरे पास आकार बैठ गया। शायद बड़ी जल्दी मैं था...उसके गंदे कपड़े उसके पसीने से गीले थे और उससे मुहं से शराब की गंध आ रही थी। उसने मुझसे पुछा की रेलवे स्टेशन कब आयेगा। मैने उसे कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि शायद मुझे उससे घिन सी हो रही थी। उसने ये सवाल कई लोगो से पुछा, पर किसी ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। मुझे उस पर झल्लाहट सी हो रही थी, की वो क्यों मेरे पास बैठा है और भी तो सीटें खाली हैं, वहां क्यों नहीं बैठ जाता? जब बस आगे बढ़ी तो उसके गीले कपड़े मुझसे छूने लगे, मुझे और गुस्सा आने लगा। इस दौरान वो लगातार पूछता जा रहा था की स्टेशन कब आयेगा... स्टेशन कब आयेगा? मेरे दिमाग में पता नहीं क्या आया और मैने उसे स्टेशन से बहुत पहले ही कहा की यही स्टेशन है उतर जाओ...और वो जल्दी-जल्दी चलता हुआ बस से उतर गया...
मैं नहीं जनता क्यों? लेकिन जब बस की खिड़की से मैने उसे सड़क पर लंगडाते हुए बड़ी मुश्किल से चलते देखा तो मेरी आँखों में आंसूं आ गए, दिल में बड़ी टीस सी उठने लगी। वो शायद एक फ़कीर था...
पता नहीं क्यों मैने क्यों उसके साथ एसा किया?
शायद उसके गंदे कपड़ों की वजह से या उसके अंदर से आ रही शराब की बू की वजह से ? जबकि शराब तो आज की संस्कृति का हिस्सा बन गई है, अगर मैं किसी कोकटेल पार्टी मैं होता तो क्या मुझे ये शराब की बू नहीं आती? और अगर ऐसा किया भी तो मेरी आँखों से फिर आंसूं क्यों आये ?
इन सवालों का जवाब मैं कल से अपने अंदर तलाश रहा हूँ पर मिल नहीं रहा...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
मैं नहीं जनता क्यों? लेकिन जब बस की खिड़की से मैने उसे सड़क पर लंगडाते हुए बड़ी मुश्किल से चलते देखा तो मेरी आँखों में आंसूं आ गए, दिल में बड़ी टीस सी उठने लगी। वो शायद एक फ़कीर था...
पता नहीं क्यों मैने क्यों उसके साथ एसा किया?
शायद उसके गंदे कपड़ों की वजह से या उसके अंदर से आ रही शराब की बू की वजह से ? जबकि शराब तो आज की संस्कृति का हिस्सा बन गई है, अगर मैं किसी कोकटेल पार्टी मैं होता तो क्या मुझे ये शराब की बू नहीं आती? और अगर ऐसा किया भी तो मेरी आँखों से फिर आंसूं क्यों आये ?
इन सवालों का जवाब मैं कल से अपने अंदर तलाश रहा हूँ पर मिल नहीं रहा...
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मीत जी, आपके इस लेख को पढ़कर मेरी आखों मे भी आसू आ गये. लेकिन आपने जो उनके साथ किया अक्सर लोग ऐसा ही करते है. पर शायद उसकी परिस्थिति ही ऐसी होगी. या फिर आदत से मजबूर होगा. पर जो हुआ उसे भूल जाए. लेकिन आगे से ध्यान रखना की फिर किसी के साथ ऐसा ना करो. लोग चाहे कुछ भी करे पर हमे किसी के साथ बुरा नही करना है. बस इतना याद रखे. उस आदमी के लिए आपकी आँखो मे आसू आए इसी से पता चलता है की आपका मन साफ है. पर अंजाने मे आपसे ग़लती हो गई है. be happy.