12:00 PM
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by मीत
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जब माँ बचपन में,
डांट देती थी..
तुम्ही तो दुलारते थे,
पापा...जब भागते-भागते में,
खा जाता था ठोकर,
तुम ही तो सँभालते थे,
पापा...जीवन का हर सुंदर क्षण,
तुम्हारा ही तो,
कर्जदार है!
पापा...पर पापा...?
आज जब तुमको,
मेरी जरुरत...
तो.. में लाचार हूँ
पापा...तुम्हारे अधूरे सपनों की किरचें,
आँखों में चुभती हैं,
पापा...नहीं जानता की कैसे,
इन्हे मैं पूरा करूँगा,
पर तैयार हूँ
पापा...
तुम्हारी आँखों में,
एक पिता के एहसास को,
महसूस करता हूँ मैं,
पापा...
तुमने तो कभी कुछ,
ना कहा मुझसे,
पर मैं हर बात सुनता हूँ
पापा...
मैं तुम्हें सबसे ज्यादा,
प्यार करता हूँ पापा...
---------मीत
अविनाश वाचस्पति जी ने पिताजी के लिए एक ब्लॉग बनाया है, उन्होंने मुझे उस ब्लॉग पर पिता के लिए कुछ कहने को जोड़ा और मेरे पिता के प्रति मेरे एहसास शब्दों में बह गए...
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4:37 PM
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by मीत
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
पीपल पे रहने आयीं तुम....
मेरे मन को भाई तुम....
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...
सांझ ढले तुम आती,
माँ सुनाये ज्यों लोरी,
तुम भी ममत्व गीत हो गाती,
आँगन के पीपल का कोटर,
तुमने आन सजाया है,
क्षण-क्षण विहंस कलाव कर,
हर दिन तुमने चहकाया है,
तुमसे ना कोई परिचय है मेरा,
ना तुमसे है कोई नाता,
पर डाल-डाल ये सफ़र तुम्हारा,
मन को आल्हादित कर जाता,
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...पातियों के झुरमुट से,
नयनों को तुम झपकाती,
उद्धत-उग्र सवेरे मेरे,
फुदक-फुदक कर चहका जाती,
दूर तलक न उड़ना फर्र-फर्र,
आंगन से तुम चुगना दाना,
सदा रहे यहाँ बसर तुम्हारा,
छोड़ इसे तुम कहीं न जाना,
ओ.. गौरेया... ओ.. गौरेया...पीपल पे रहने आयीं तुम....
मेरे मन को भाई तुम....
_________मीत
परिंदों की दुनिया कितनी सुंदर होती है, सबसे प्यारी , सबसे निश्छल, एक दम सच्ची सी.... सुबह सुबह इनकी चहक सुनने को न मिले तो मन को आराम नहीं मिलता...
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3:14 PM
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by मीत
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खुशियाँ तो बेवफा हैं,
छोड़ चली जाती हैं,
फूलों का क्या भरोसा,
काँटों पर मुझे ऐतबार है,
शायद तभी,
मेरे दिल को दर्द से प्यार है...छाया में वो बात कहाँ
साया भी खो जाता है,
धूप की तपिश से ही तो,
मन भी चमकदार है,
शायद तभी,
मेरे दिल को दर्द से प्यार है...
सकून में ना आया,
आराम कभी मुझको,
लगता है जिस्म मेरा
बेचैनी का तलबगार है,
शायद तभी,
मेरे दिल को दर्द से प्यार है...
राहों में मेरी कांटे जरा बिछाओ यारो... पांव ज़ख्मी न हो तो, दौड़ने का मज़ा क्या है.... मीत |
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