सरहद पे वो मौत से जूझता है,
उसकी मुहब्बत का दुप्पटा,
उसकी यादों के आंसू पोंछता है,
माँ की आँखों में बिछड़ने का
दर्द अब भी ताजा है.
टूटने को तैयार,
एक एक वादा है...
पिता रोज उसके गर्व में,
सीना ठोकता है...
सरहद पे वो मौत से जूझता है...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
उसकी मुहब्बत का दुप्पटा,
उसकी यादों के आंसू पोंछता है,
माँ की आँखों में बिछड़ने का
दर्द अब भी ताजा है.
टूटने को तैयार,
एक एक वादा है...
पिता रोज उसके गर्व में,
सीना ठोकता है...
सरहद पे वो मौत से जूझता है...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
achchha lagaa
बहुत गहन जज्बात व्यक्त करती रचना.
रामराम.
bahut hi umda rachna likhi hai aapne
Wah..Wahwa..
गहरे जज्बात हैं आपकी इस रचना में..........सरहद पर वीर जवान..........वाकई मोत से झूझते हैं
वाह अंकल वाह..बहुत बढिया रचना.
'टूटने को तैयार,
एक एक वादा है...
पिता रोज उसके गर्व में,
सीना ठोकता है...'
-दिल को छू गयीं ये पंक्तियाँ!
-संवेदना के स्वर मुखर हैं आप की इस कविता में.
बहुत गहरे उतरे!!
बहुत बढिया रचना...
वाह मीत भाई कमाल का लिख दिया। कम शब्दों को बहुत गहरी बातें कह दी। कम ही लोग लिखते है आजकल इस विषय पर। मैंने सोचा था लिखने का इस पर। पर ऐसा बीजी हुआ कि दिमाग से ख्याल भी चला गया। आपकी रचना पढी तो याद आया। आपके लिखे को पढकर उतनी ही खुशी हो रही है जितनी अपने लिखे हुए को पढकर होती है। जीयो यार।
मीत...अपना ई-मेल दो
तुमने रूला दिया है
अति सुन्दर
बधाइयां
जारी रहे
सादर
सैनिक की भावनाओं को आपने बहुत ही प्रामाणिक तरीके से व्यक्त किया है१
धर्म की व्याख्या के बहाने जीवन के गहरे सूत्र भी आपने उपलबध करा दिये।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कम शब्दों में अधिक सुंदर अभिव्यक्ति!
Bhavpurn abhivyakti.Aankh bhar aayi.
dil me bahut hi gahri utri aapki ye rachna
sarhad pe jujhane wale ko salaam. aapki khoobsurat kavita ko bhi salaam.
देशभक्ति से ओत-प्रोत एक सच्ची कविता
....
बधाई स्वीकार करें