कहता है मुझसे,
मैं ना फिर आऊंगा...
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
यों जागा सा जो सोता है,
इसलिए तू मुझको खोता है?
पलभर में ही मिट जाता है,
यहाँ जो मुझसे टकराता है
भला कौन मुझे है बाँध सका,
मैं तेरे हाथ ना आऊंगा...
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
आ दौड़ के देखें संग-संग हम,
जीवन के संकरीले पथ पर
गिर जायेंगे सफ़र के लम्हे,
राहों में तेरी कट-कट कर
जो पाया है तूने अबतक,
वो साथ अपने ले जाऊंगा
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
मैं ना फिर आऊंगा...
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
यों जागा सा जो सोता है,
इसलिए तू मुझको खोता है?
पलभर में ही मिट जाता है,
यहाँ जो मुझसे टकराता है
भला कौन मुझे है बाँध सका,
मैं तेरे हाथ ना आऊंगा...
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
आ दौड़ के देखें संग-संग हम,
जीवन के संकरीले पथ पर
गिर जायेंगे सफ़र के लम्हे,
राहों में तेरी कट-कट कर
जो पाया है तूने अबतक,
वो साथ अपने ले जाऊंगा
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
__________________________________________________________
इस महीने की ८ तारीख को मेरे ब्लॉग का एक वर्ष पूरा हो गया... वक्त कब पंख लगा कर उड़ गया पता ही नहीं चला... इस एक वर्ष में मुझे आप सब की सराहना, प्रेम और बहुत कुछ सीखने को मिला... उम्मीद करता हूँ की आगे भी मिलता रहेगा.. मेरे ब्लॉग की पहली वर्षगाँठ पर आप सब को बधाई... ये पोस्ट देरी से पोस्ट कर पाया.. वजह वही है... जिस पर यह रचना बनी है...वक्त...
__________________________________________________
लिखने को तो बहुत है पर
कमबख्त ये साथ नहीं देता..
दौड़ाता है मुझे, आगे निकल जाता है...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
आपको ब्लाग की वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई. शुभकामनाएं.
रामराम.
आ दौड़ के देखें संग-संग हम,
जीवन के संकरीले पथ पर
गिर जायेंगे सफ़र के लम्हे,
राहों में तेरी कट-कट कर
जो पाया है तूने अबतक,
वो साथ अपने ले जाऊंगा
bahut khub. bus samay aise hi udta jata hai. aise hi khushiyan bantte raho aur blog chalate raho. :)
सबसे पहले ब्लोग सालगिरह पर बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं। यह सोलह आने सच है कि वक्त कभी लौट कर नही आता। और इसी सच्चाई को आपने बेहतरीन रुप से लिख दिया। बहुत उम्दा।
लिखने को तो बहुत है पर
कमबख्त ये साथ नहीं देता..
दौड़ाता है मुझे, आगे निकल जाता है..
सही कहा वक़्त ऐसा ही होता है............बधाई हो एक वर्ष पूरा होने पर
हार्दिक बधाई. शुभकामनाएं.
आ दौड़ के देखें संग-संग हम,
जीवन के संकरीले पथ पर
गिर जायेंगे सफ़र के लम्हे,
राहों में तेरी कट-कट कर
जो पाया है तूने अबतक,
वो साथ अपने ले जाऊंगा
तू... जीले पल... पल...
रो के, हंस के
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
बहुत सुन्दर रचना ....!!
ब्लाग की वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं...!!
सच ही तो ये कमबख्त वक्त कब पंख लगा कर उड़ जाता है पता ही नही चलता...
ब्लौग के सालगिरह की हार्दिक बधाई और इस अवसर पर ये रचना खूब बन पड़ी है मीत भाई
चलो, देर से बताया तो देर से ही सही-बहुत बहुत बधाई और ढ़ेरों शुभकामना.
लिखते चलिए..बेहतरीन लिख रहे हैं.
बहुत बहुत बधाई ब्लॉग के एक वर्ष पूरे करने पर.
मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा...
आ दौड़ के देखें संग-संग हम,
जीवन के संकरीले पथ पर
गिर जायेंगे सफ़र के लम्हे,
राहों में तेरी कट-कट कर
वक़्त कब किस के साथ चला है..हमें ही उस का हाथ पकडे रहना पड़ता है...
बहुत अच्छा लिखा है..
आ दौड़ के देखें संग-संग हम,
जीवन के संकरीले पथ पर
गिर जायेंगे सफ़र के लम्हे,
राहों में तेरी कट-कट कर
जो पाया है तूने अबतक,
वो साथ अपने ले जाऊंगा
meet bhut hi achchha likha hai waqt ke bare main
Aamin, summa Aamin.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut bahut shubhkaamnayen aur aise hi sundar likhte rahiye
meet bhai , varshgaanth par badhai
aapki ye post man ko choo gayi boss
aapko meri dil se badhai ..
meri nayi kavita padhkar apna pyar aur aashirwad deve...to khushi hongi....
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com