इस गड्तंत्र दिवस पर तू बहुत याद आया, परेड में तेरे कदमों के निशां थे, आवाज थी पर तू नहीं था.. जहाँ भी रहे खुश रहे... love u...
तुम गुजर के जा चुके,
ना गम की गुजरती रात है...
हर तरफ अब ज़िन्दगी में,
दर्द का अलाप है...
मिट नहीं रहा है अबतक,
अनछुआ एहसास है...
मन के वीरान रास्तो पर,
बसी तेरी पदचाप है...
मिटती नहीं है, लाख मिटाऊँ!
अमिट ये तेरी छाप है...
तारों जितना दूर है तू,
फिर भी लगता है पास है...
---मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
तुम गुजर के जा चुके,
ना गम की गुजरती रात है...
हर तरफ अब ज़िन्दगी में,
दर्द का अलाप है...
मिट नहीं रहा है अबतक,
अनछुआ एहसास है...
मन के वीरान रास्तो पर,
बसी तेरी पदचाप है...
मिटती नहीं है, लाख मिटाऊँ!
अमिट ये तेरी छाप है...
तारों जितना दूर है तू,
फिर भी लगता है पास है...
---मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
इस गड्तंत्र दिवस पर तू बहुत याद आया, परेड में तेरे कदमों के निशां थे, आवाज थी पर तू नहीं था..
ये यादें ताउम्र सालती रहती हैं.
सादर नमन.
रामराम.
मन के वीरान रास्तो पर,
बसी तेरी पदचाप है... .
मन को गहरे तक छू गयी आपकी लाइनें .........
behad gahan abhivyakti.
किसी से दूर जाने के एहसास का दर्द सुन्द रचना शुभकामनायें
वाह...मन को छूती,कोमल भावों की अतिसुन्दर अभिव्यक्ति...बहुत ही सुन्दर रचना ....
भाई की याद में बहुत गहरे भाव से लिखी है आपने ये रचना। कुछ इंसान ऐसे होते है जो रह रह कर बहुत याद आते है।
अपने कितनी भी दूर चले जाएँ दिल कभी दूर नहीं जाते.
ईश्वर करे वो जहाँ है खूब खुश रहे.
कहते हैं इस दुनिया के बाद भी दुनिया है.
--देश के लिए जान देने वाले अमर हो जाते हैं.
-तुम्हारे दुःख में साथ हूँ.
यादें हैं न, कभी दिल से नहीं जायेंगी.बस होसला रखो .
[मीत,ब्लॉग्गिंग में अनियमित चल रही हूँ ,देर से देखी यह पोस्ट..सॉरी.]
भाई पर लिखी कुछ अप्रतिम कविताओं में से एक। देर से आने के लिये क्षमा...फिल्म "जो जीता वही सिकंदर" का वो गाना याद आया "रुठ कर मुझसे कभी..." वाला।
shayd bahut dino baad aayaa hu aapke blog par..tasalli hui ki jyada kuchh chhhotaa nahi he padhhne ko.,yaade jab desh ke liye samarpit hoti he to ve bhi keemati ho jaati he jinhe basaye rakhnaa hamari pooja me shaamil ho jaataa he...
mithun daa ke shabdon men kahun to....kyaa baat....kyaa baat.....kyaa baat....!!are haath bhi vaisa hi uthaya hua hai bhyi...sach....!!
रंगारंग उत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनायें !
sunder rachna par shubhkaamnayen!!!
aaj bahut time ke baad aapke blog per aane ka shobhagya mila, aapki sari rachnaye jaise dil ko chir jati hai, bahut sunder kavita likhi hai aapne ..........
likhte rhiye......