तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

साथी घर जाकर मत कहना...

यह कविता १९९४-९५ में मेरे शहीद भाई के मेरठ स्थित आर्मी स्कूल की वार्षिक किताब प्रतिभा में छपी थी... तब उसने मुझे वो किताब भेंट दी थी... यह कविता किसी नीलम जी ने लिखी है...जो उस समय छठी कक्षा में पढ़ती थी... जो में आप सबसे बाँट रहा हूँ..
खास कर यह मैंने श्री गौतम राजरिशी जी के लिए डाली है... हम बीते साल को अलविदा कह रहे हैं. लेकिन इस बीते साल को हमारे लिए खुशनुमा बनाने वाले बहुत सारे ऐसे शहीद हैं जो अपने घर लौट के नहीं आये... और बहुत से अभी भी सरहद पर तैनात हैं केवल और केवल हमारी रक्षा के लिए... उन सभी को मेरी तरफ से ढेर सारी दुआएं...




साथी घर जाकर मत कहना...
साथी घर जाकर मत कहना...
 
यदि हाल मेरी माँ पूछे तो
जलता दिया बुझा देना
इतने पर भी ना समझे
तो मुरझाया फूल दिखा देना
साथी घर जाकर मत कहना...
साथी घर जाकर मत कहना...

यदि हाल मेरी बहना पूछे
धागा तोड़ दिखा देना
इतने पर भी ना समझे
तो सब कुछ समझा देना
साथी घर जाकर मत कहना...
साथी घर जाकर मत कहना...

यदि हाल मेरी पत्नी पूछे तो
मांग का सिंदूर मिटा देना
यदि इतने पर भी न समझे
तो कंगन तोड़ दिखा देना
साथी घर जाकर मत कहना...
साथी घर जाकर मत कहना...

                        नीलम कुमारी
                        ६ अ 

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
23 Responses
  1. Alpana Verma Says:

    यह गीत बहुत ही मर्मस्पर्शी है और भावों संग बहा ले जाता है.
    सभी सैनिक भाईयों को समर्पित इस कविता के लिए आप का आभार.
    आप के शहीद भाई को भावभीनी श्रधंजलि.
    नये साल का आगमन खुशियों से हो aur ये खुशियाँ हमेशा बनी रहें बस यही दुआ है..


  2. sandhyagupta Says:

    Desh ke rakshakon ko mera salam aur nav varsh ki dher sari shubkamnayen.


  3. Savita Rana Says:

    Aapki ye rachna dil ko jhakjor dene vali hai,aapko bhi nav varsh ki shubkamnaye


  4. बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता है. भाई को नमन, नये साल की घणी रामराम.

    रामराम.


  5. bahut hi marmik .

    nav varsh sabke liye mangalmay ho.


  6. बहुत सुंदर कविता लगी, भाव पुर्ण, बहुत कुछ कहती हुयी. धन्यवाद
    आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!


  7. बहुत सुन्दर पोस्ट. हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में प्रभावी योगदान के लिए आभार
    आपको और आपके परिजनों मित्रो को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...


  8. नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाये.


  9. कितना सुखद आश्चर्य है कि ये कविता मैंने पहले ही पढ़ रखी है और तब मुझे कवि के बारे ज्ञात न था....किसी सैन्य-पत्रिका में ही छपी थी ये कविता! आज आपने इस कविता के बारे में जानकारी दे कर बड़ा उपकार किया है।

    नया साल आपके जीवन में समस्त खुशियाँ और सफलता लाये!

    ...और इस पोस्ट के लिये दिल से आभार!!


  10. मीत भाई यह रचना कहाँ से ले आए। सच बहुत ही मार्मिक रचना है। एक एक शब्द बहुत कुछ बोलता हुआ, दिल को झकझोरता हुआ। इतनी छोटी सी उम्र इतने कमाल का लेखन। यही जज्बा होता हमारे जवानों में। शुक्रिया मीत इतनी बेहतरीन रचना पढवाने के लिए।


  11. marmsparshi/ bas is kavita ke liye yahi shbd ho sakate he, vese bhi bhai esi rachnaye hamesha dil ko jnha rulati he vanhi jajbaa bhi bharati he..sochane samjhane ke liye bhi vivash karti he aour sachmuch ynha shabd moun ho jaate he.., chitr hi khinchate he bass..

    nav varsh sukhmaya ho.


  12. Pawan Kumar Says:

    मीत जी
    आपने यह कविता बिलकुल सही आदमी को समर्पित की है......
    नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!
    ईश्वर से कामना है कि यह वर्ष आपके सुख और समृद्धि को और ऊँचाई प्रदान करे.


  13. shama Says:

    यदि हाल मेरी पत्नी पूछे तो
    मांग का सिंदूर मिटा देना
    यदि इतने पर भी न समझे
    तो कंगन तोड़ दिखा देना
    साथी घर जाकर मत कहना...
    साथी घर जाकर मत कहना...

    Rachna padhte padhte aankh bhar aayee..


  14. बहुत ही गहरी संवेदनाएं है !!!


  15. इस अच्छी रचना के लिए
    आभार .................


  16. बहुत मर्मस्पर्शी गीत है आँख में आँसू आ गए जलता दीया बुझा देना
    नीलम जी की इस सुंदर कविता को हम सबके साथ बांटने के लिए धन्यवाद


  17. पहली बार ये ब्लाग देखा। इस मार्मिक अभिव्यक्ति को पढ कर सहसा आँखें नम हो गयी
    उन सभी सैनिकों को शत शत नमन । गौतम जी तो ब्लाग जगत की शान हैं सभी को नये साल की बहुत बहुत बधाईँ


  18. shama Says:

    Itnee kam umr me itnee gazab rachna! Stabdh kar diya..

    Naya saal mubarak ho! Har shaheed ko ,seema pe ya antargat tainat har rakshak ko naman!


  19. बहुत सुन्दर रचना
    बहुत बहुत आभार .............


  20. Unknown Says:

    shabd nahi h tarif ke liye


  21. Manish Kumar Says:

    छठी कक्षा की बच्ची ने इस कविता में। कितने सहज शब्दों में एक शहीद के चले जाने की घटना को मन उद्वेलित करने वाले रूपकों में सहेजा है। शुक्रिया इसे यहाँ बाँटने के लिए।


  22. Unknown Says:

    iske liye bus vhaaaaaaaaaaaaa


  23. बहुत सुन्दर पोस्ट.


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