तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...


ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...
घिस रहा बदन, घाव भरता नहीं
रिस रहा आँखों से, लहू रुकता नहीं
उधड़ने लगे हैं, अब ज़िन्दगी के पैबंद,
सीयू इनको तो चुभन होती है...
ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...
सांस गरल बन सीने में थमीं,
सूखती नहीं अब आँखों की नमीं
ज़हर से कड़वे हैं, सच जीवन के,
पियूं  इनको तो घुटन होती है...
ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...
दिल का टुकड़ा खोया कहीं
ढूंढने को छानी है सारी जमीं
पाने को अब कुछ दिल नहीं करता
ये पाती कुछ नहीं सिर्फ खोती है,
ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...

**मीत**
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
21 Responses
  1. जितना गहरा दर्द है, उतनी की प्रभावी अभिव्यक्ति। और क्या कहूं, अभिभूत हूँ पढकर।

    --------
    छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
    क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?


  2. बहुत सुन्दर भाई , जख्मो को हरा करती आपकी यह ख़ूबसूरत रचना !


  3. seema gupta Says:

    ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...
    " very touching..."
    regards


  4. bahut hi dardbhari..........dil ko chuti ek prabhavshali rachna.


  5. दर्द में डूब कर लिखी रचना...शशक्त अभिव्यक्ति...
    नीरज


  6. बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढने को मिली। आपको शिकायत भी की थी जी लिखो कुछ। पर इस रचना को पढकर शिकायत दूर हो गई और एक दर्द का समुदर बहता नजर आया। बहुत गहरी रचना बहुत दर्द लिए हुए। इतना दर्द कहाँ से ले आते हो जी।
    दिल का टुकड़ा खोया कहीं
    ढूंढने को छानी है सारी जमीं
    पाने को अब कुछ दिल नहीं करता
    ये पाती कुछ नहीं सिर्फ खोती है,
    ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है.

    ..............


  7. बहुत मार्मिक, और नजदीक से गुजरती रचना.

    रामराम.


  8. sandhyagupta Says:

    ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...

    Yah pankti khas taur par bahut achchi lagi.Shubkamnayen.


  9. kshama Says:

    दिल का टुकड़ा खोया कहीं
    ढूंढने को छानी है सारी जमीं
    पाने को अब कुछ दिल नहीं करता
    ये पाती कुछ नहीं सिर्फ खोती है,
    ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...

    Sampoorn rachna sundar hai...lekin ye panktiyan rachnako ek shikharpe le gayin!



  10. ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...
    --वाह, इस एक पंक्ति में ही ज़हां का दर्द झलकता है।


  11. Alpana Verma Says:

    देर से पहुँची इसके लिए क्षमा.
    यह कविता निराशा भाव लिए है मगर बेह्द सुंदरता से शब्दों का संयोजन किया है.भावों को अभिव्यक्त करने में सक्षम.
    कविता के साथ दिया चित्र भी प्रभावी है.
    शीर्षक बहुत सटीक.
    बहुत अच्छी कविता है.बधाई.


  12. "सांस गरल बन सीने में थमीं,
    सूखती नहीं अब आँखों की नमीं
    ज़हर से कड़वे हैं, सच जीवन के,
    पियूं इनको तो घुटन होती है"

    बहुत सुंदर मीत भाई...बहुत सुंदर।

    कविता के साथ में लगा स्केच भी बहुत प्रभावी है। आपने खुद बनाया है क्या?


  13. bhavo ko yadi shabd mil jaate he to yakinan uname bhi jaan aa jaati he yaani jeevant hokar ve padhhne vaale ko bhi apne unhi bhavo ka ahsaas dete he...MEET BHAI, sundar shabdo ne abhivyakti ko sashkt kar diya/ UMDA
    ab ye bataiye..jo is rachna ke saath scketch lagayaa he vokyaa aapne banaaya? bahut badhiya he/


  14. ... बेहद प्रभावशाली !!!!



  15. Pawan Kumar Says:

    दिल का टुकड़ा खोया कहीं
    ढूंढने को छानी है सारी जमीं
    पाने को अब कुछ दिल नहीं करता
    ये पाती कुछ नहीं सिर्फ खोती है,
    ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है.
    बहुत ही अच्छी रचना....! साधुवाद


  16. बहुत सुन्दर रचना
    बहुत -२ बधाई


  17. Alpana Verma Says:

    देखे आई थी की कहीं तुम्हारी कोई nayee रचना पढ़ने से रह तो नही गयी.. ब्लॉग पर आई तो गाना बज उठा..बहुत ही प्यारा गीत है..बोल बहुत अच्छे हैं..अब ऐसे गीत बहुत कम बनते हैं.अच्छी पसंद है.


  18. शुभकामनायें स्वीकार करें !


  19. ज़िन्दगी सपनों के टुकड़े ले, सिरहाने पे रोती है...
    --वाह, इस एक पंक्ति में ही ज़हां का दर्द झलकता है।


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