पता नहीं क्या लिखा है, बस दिल में आया ओर लिख दिया.. अगर कुछ उल्टा-पुल्टा हो कृपया बेझिझक बताइयेगा..जिससे की मैं सुधार सकूँ...
स्नेह
मीत
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
ग़मज़दा चेहरों पे ये कैसा,
नूर है...
खा रहा है गालियाँ, बदनाम हो रहा है,
लोग कहते हैं यही तो,
मशहूर है...
मुह सीये बैठे हैं, दिल में सबके
चोर है...
खिंच रहे हैं गर्त में, कोन सी ये,
डोर है...
फट रहे कानों के परदे,
किसके सीने का
शोर है...
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
क्यों नहीं पहुँचती है दुआ
खुदा तक...
आसमां धरती से क्या हो गया
दूर है...
उठे हुए हाथ भी अब थकन से
चूर हैं...
या खुदा मैं जान लूं, तू मीत से भी
मजबूर है...
दस्तूर हैं...
ग़मज़दा चेहरों पे ये कैसा,
नूर है...
खा रहा है गालियाँ, बदनाम हो रहा है,
लोग कहते हैं यही तो,
मशहूर है...
मुह सीये बैठे हैं, दिल में सबके
चोर है...
खिंच रहे हैं गर्त में, कोन सी ये,
डोर है...
फट रहे कानों के परदे,
किसके सीने का
शोर है...
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
क्यों नहीं पहुँचती है दुआ
खुदा तक...
आसमां धरती से क्या हो गया
दूर है...
उठे हुए हाथ भी अब थकन से
चूर हैं...
या खुदा मैं जान लूं, तू मीत से भी
मजबूर है...
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
दस्तूर हैं...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
वाह, बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती
बहुत अच्छी रचना कही आप ने धन्यवाद
क्यों नहीं पहुँचती है दुआ
खुदा तक...
आसमां धरती से क्या हो गया
दूर है...
mn ki kash.m.kash ko bayaaN karti huee achhee rachnaa...
shaili aur bhaav dono saarthak lag rahe haiN .
b a d h a a e e .
हमें तो पसंद आई रचना
बढ़िया रचना...
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं..
-बिल्कुल सही!!
बढ़िया रचना!!
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
सच ही कहा एक सच्ची अभिव्यक्ति आभार
regards
सच कहते हो मीत भाई इस दुनिया के निराले द्स्तूर है। ना जाने कब ये द्स्तूर बदलेंगे। आप बैशक काफी दिनों में एक ही रचना लिखते है पर जब लिखते है तो वाकई शानदार और गजब का लिखते है।
ग़मज़दा चेहरों पे ये कैसा,
नूर है...
खा रहा है गालियाँ, बदनाम हो रहा है,
लोग कहते हैं यही तो,
मशहूर है
और जो सच्चे काम कर रहे है वो इस दुनिया की तंग गलियों में कहीं गुम रहते हए अपना काम कर रहे है।
सच में निराले दस्तूर हैं। बहुत खूब लिखा है मीत जी।
SACH MEIN DUNIYA KE DASTOOR NIRAALE HAIN .... AAPKI RACHNA LAJAWAAB HAI ...........
Nice Post!! Nice Blog!!! Keep Blogging....
Plz follow my blog!!!
www.onlinekhaskhas.blogspot.com
dil me jo aaye aour use shbdo me uker diyaa jaaye to rachna ban jaati he, rachna ke liye achha yaa buraa kuchh nahi hota, vo sirf rachnaa hoti he,, lihaza meetji aapne sahi aour arth poorna rachna likhi he.
मुह सीये बैठे हैं, दिल में सबके
चोर है...
खिंच रहे हैं गर्त में, कोन सी ये,
डोर है...
aaj ke dour ka drashya...behatreen
यह कविता देर से पढ पा रही हूं... शायद इस की फ़ीड नही आयी है.
’क्यों नहीं पहुँचती है दुआ
खुदा तक...
आसमां धरती से क्या हो गया
दूर है..”
बहुत अच्छा लिखा है.
अच्छे भाव हैं.लय भी है.शब्दों का सन्योजन भी अच्छा है.
ऐसे ही लिखते रहीये.
बहुत अच्छी एवं सुन्दर रचना
बहुत -२ आभार
तेरी दुनिया के निराले,
दस्तूर हैं...
ग़मज़दा चेहरों पे ये कैसा,
नूर है...
खा रहा है गालियाँ, बदनाम हो रहा है,
लोग कहते हैं यही तो,
मशहूर है...
Kya Khoob Kaha hai.