पास नहीं हो दूर हो तुम,
पर बसे हुए हो नयनों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
सदा नहीं अब गूंज रही है,
सन्नाटा बोले कर्णों पे
पर गीत तुम्हारे सजल सजल,
शब्द बने हैं अधरों पे
काश कहीं से आ जाते तुम,
कसक मिटाते जन्मों की
साथ बैठ कर बातें होती,
तेरे मेरे सपनो की
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
--मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
पर बसे हुए हो नयनों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
सदा नहीं अब गूंज रही है,
सन्नाटा बोले कर्णों पे
पर गीत तुम्हारे सजल सजल,
शब्द बने हैं अधरों पे
काश कहीं से आ जाते तुम,
कसक मिटाते जन्मों की
साथ बैठ कर बातें होती,
तेरे मेरे सपनो की
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
--मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
इस अमानत को संभाल कर रखना,
खुशनसीबों को ही ये मिलता है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में....
BAHOOT सुन्दर BAAT LIKHI है ........ PREM TO SADA AMAR RAHTA है .... TAAZA GULAAB KI TARAH ...
काश कहीं से आ जाते तुम,
कसक मिटाते जन्मों की
साथ बैठ कर बातें होती,
तेरे मेरे सपनो की
बेहद खूबसूरत रचना.
रामराम.
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
बेहद कोमल रचना -- सतरंगी भी
'प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में'
behad khubsurat panktiyan hain .
kavita mein bhi jaise komal khusburat ahsaason ko shbdon ke moti mein piro diya hai.
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
बहुत ही हसीन , बहुत सुंदर
धन्यवाद
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
बहुत सुन्दर बाकी रजनीश जी ने कह दिया है शुभकामनायें
लगता है मुझे घर पर बात करनी पडेगी :) और हाँ सच आप बहुत ही अच्छा लिखते है। शब्दों के प्रयोग के मामले आप सटीक शब्दों का चुनाव करते है। सुन्दर प्यारे शब्दों से बहुत प्यारा अहसास लिख दिया।
पास नहीं हो दूर हो तुम,
पर बसे हुए हो नयनों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में
क्या कहूँ बताशे सा मीठा लगा पढ़कर।
अहा...ग़ज़ब के लय-प्रवाह पे बुना गया प्रेम-गीत।
"सदा नहीं अब गूंज रही है,
सन्नाटा बोले कर्णों पे
पर गीत तुम्हारे सजल सजल,
शब्द बने हैं अधरों पे"
कसा हुआ छंद...इतना कि पढ़ते ही मन गुनगुनाने लगे! बहुत सुंदर !!
बहुत खूबसूरत प्यारा सा अहसास है।
aapke blog pahli bar aayi hun, padh ker bahut accha laga, bahut sunder rachnaye hai aapki,
or mere blog per aane ke liye aapka bahut-2 shukria sath me shubhkamnayo ka bhi.......
savita
@Meet jaldi hi likhungee 'muktak vishay par post.
yaad dilaya--shukriya.
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में....
vah kya baat hai meet ji.very very nice......
धुंधला हैं अब अक्स तुम्हारा
जीवन के सब वर्णों में
प्यार तुम्हारा मोर पंख सा,
रखा है मन के पन्नों में....
vah kya baat hai meet ji.very very nice......
काश कहीं से आ जाते तुम,
कसक मिटाते जन्मों की
साथ बैठ कर बातें होती,
तेरे मेरे सपनो की
.... बेहतरीन अभिव्यक्ति !!!!
कमाल की कलम है आपकी हितेश जी. इसी तरह लिखते रहिए। बेहतरीन