तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत

रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है...

 रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है... 

प्रेम की अलमारी में, कब से इसे बंद किया था,
हर नाते की चाप को, मुस्कुरा के सह लिया था,
संबंधों की गठरी से, टुकडा-टुकडा कर गिर पड़ा है,

रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है...

तकिया से मन को, कभी सराहने पे दबा लेता,
बिछौना बना ज़िन्दगी के पलंग पे कभी बिछा लेता,
आज ये ख्वाहिशों की लाठी बन, मुझसे लड़ चला है,

रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है...

हाँथ है की, मजबूरियों की जेब में पड़े हैं,
मन के टुकडों को, हम कुचल के चल पड़े हैं,
अंजान प्रेयसी सा, मुहं फेर के पड़ा है,

रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है...

                                          ---मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
22 Responses
  1. बहुत खूब...रूपक तो बहुत ही सुंदर हैं...जज़्बात भी बड़े मुलायम से हैं...सहलाते से।


  2. बहुत सुंदर. शुभकामनाएं.

    रामराम.



  3. वाह!! Komal भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति....


  4. प्रेम की अलमारी में, कब से इसे बंद किया था,
    हर नाते की चाप को, मुस्कुरा के सह लिया था,
    संबंधों की गठरी से, टुकडा-टुकडा कर गिर पड़ा है,
    वाह मीत भई क्या खुब लिखी आप ने यह कविता, बहुत सुंदर.धन्यवाद


  5. भई इस गीत मे जिन बिम्ब और प्रतीको का आपने उपयोग किया है वे तो गज़ब हैं


  6. कोमल और खूबसूरत भाव हैं भाई जी


  7. वाह मीत भाई कितनी खूबसूरत रचना लिख डाली। बहुत दिल से लिखे है आपने ये जज्बात। हर शब्द पर वाह निकल रही है। सच्ची आप बहुत ही सुन्दर लिखते है।
    हाँथ है की, मजबूरियों की जेब में पड़े हैं,
    मन के टुकडों को, हम कुचल के चल पड़े हैं,
    अंजान प्रेयसी सा, मुहं फेर के पड़ा है,
    रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है

    वाह वाह वाह ..........


  8. वाह मीत भाई कितनी खूबसूरत रचना लिख डाली। बहुत दिल से लिखे है आपने ये जज्बात। हर शब्द पर वाह निकल रही है। सच्ची आप बहुत ही सुन्दर लिखते है।
    हाँथ है की, मजबूरियों की जेब में पड़े हैं,
    मन के टुकडों को, हम कुचल के चल पड़े हैं,
    अंजान प्रेयसी सा, मुहं फेर के पड़ा है,
    रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है

    वाह वाह वाह ..........


  9. khoobsoorat ....... dil se nikle huve shabd .... aksar man bhatak jaata hai rishton ke beech ... bhavon ki lajawaab abhivyakti


  10. Alpana Verma Says:

    हाँथ है की, मजबूरियों की जेब में पड़े हैं,
    मन के टुकडों को, हम कुचल के चल पड़े हैं,
    अंजान प्रेयसी सा, मुहं फेर के पड़ा है,

    'रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पड़ा है...'
    waah!
    कोमल भावनाओं को शब्द मिले और मीत की कविता हो गयी..
    bahut sundar kavita likhi hai..


  11. मीत Says:

    प्रीती बर्थवाल जी द्वारा मेल से दी गई टिपण्णी
    बहुत ही खूबसूरत रचना है मीत जी।
    रिश्तों के आँगन में मन, बिखरा पङा है.....


  12. "हाथ हैं कि मजबूरियों के जेब में पड़े हैं..."

    आह!

    बहुत सुंदर लिखा है , मीत!


  13. हाथ है कि, मजबूरियों की जेब में पड़े हैं,
    मन के टुकडों को, हम कुचल के चल पड़े हैं,

    इतना खूबसूरत कैसे लिख लेते हो यार?...


  14. kshama Says:

    रिश्तों में न जाने क्या बात होती है ..जितना उसे थामना चाहते हैं , वो बिखरता जाता है ..
    बेहतरीन अल्फाज़ और अंदाजे बयाँ..


  15. sach kaha aapne rishto ke aangan me man bikhra pada hain .....bahut badiya


  16. हाँथ है की, मजबूरियों की जेब में पड़े हैं,
    मन के टुकडों को, हम कुचल के चल पड़े हैं,
    wahji , kya baariki se sach likh diya aam aadmi ka/ in do lino ne mujhe prabhavit kiya/ bahut khoob likhte he aap/ aapka poora blog padhhna bahut jaruri ho gayaa he/


  17. प्रेम मीत
    ही कहेंगे
    हम इनको
    प्रेम गीत
    तो खूब पढ़े
    हैं, पर
    प्रेम मीत
    से पहला
    दीदार है।


  18. sandhyagupta Says:

    Sharad Kokasji ki baat se sahmat hoon.


  19. meet bhai

    namaskar

    main tahe dil se maafi maangta hoon ki main bahut dino baad blog par aaya hoon . halaat kuch theek nahi the ..

    kya kahun , aapki kavita padhkar nishabd hoon .. dil ko chooti hui rachna hai .. shabdo ne to jaise jaadu ka kaam kiya hua hai ...

    rishto ko to aapne itne acche shabdo me likha hai aur socha hai ki main kya kahun , rishte ab tandhe hi ho gaye hai ..

    meri badhi sweekar kare ...

    Regards

    Vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com



  20. Anonymous Says:

    Kya aap apne har rishte ko ba-khubi nibhate hain??


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