मेरी एक मौसेरी बहन है, मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ. लेकिन वो भी मुझे उतना ही प्यार करती है, ये मुझे कुछ ही दिन पहले पता चला।
जब वो छोटी सी (स्कूल जाने लगी थी ) थी तभी से मैं जब भी उससे मिलने जाता था, तो अपने प्यार के रूप में कुछ कागज के नोट उसे दे आता था, हालाँकि तब मुझे दिक्कत होती थी, लेकिन उसके लिए मैं मैनेज कर लेता था। फिर मैंने कमाना शुरू किया। इधर कमाना शुरू किया और उधर उसको देना भी कम होता गया...
खैर! अभी कुछ दिन पहले मेरी मौसी ने घर पर काम करने के लिए एक महरी लगाई। घर को साफ करते-करते उस महरी ने काफी कुछ साफ कर दिया। पर जब मौसी को पता चला तो काफी देर हो चुकी थी, वो काफी दुखी हुईं।
लेकिन मेरी बहन वो कुछ ज्यादा ही दुखी थी और रो भी रही थी, जब उससे रोने का कारण पुछा तो पता चला की मैंने उसे अबतक जितने भी पैसे दिए थे, उन सब पर उसने मेरा नाम लिख कर उन्हें सहेज कर रखा हुआ था...
यानि वो एक-एक नोट उसने बहुत संभाल कर रखा था, जिन्हें मैं उसे दे आता था
वो महरी ना जाने कब उन्हें चुरा कर ले गई।
जब मुझे सारी बात पता चली तो मुझे बहुत दुःख हुआ, और अपनी बहन पर प्यार भी आया। मैंने तुंरत उसे फोन किया और कहा की तेरे कितने पैसे चोरी हो गए। तो वो बड़ी सफाई से सच छिपा गयी, क्योंकि वो जानती है की उतना ही दुःख मुझे भी होता, जितना की वो महसूस कर रही थी...
मैंने उसे कहा की मैं उसे और पैसे दे दूंगा...
वो बोली ठीक है... उसकी इस बात से उसने सोचा होगा की भैया को तसल्ली हो गयी, और मैं इधर सोच रहा था की शायद उसे तसल्ली हो जाये...
लेकिन उन पैसो को खोने का गम उसके साथ साथ मेरे भी मन में आ गया था...आखिर वो पैसे नहीं थे, मेरी बहन ने तो उन्हें मेरी निशानी बना कर रखा था...
उस महरी के लिए वो बेशक चाँद कागज के रूपये थे, लेकिन उन रुपयों की अहमियत मेरी बहन के दिल में कहीं ज्यादा थी...
अपनी बहन के इस अनकहे प्रेम को क्या कहूं समझ नहीं आता, बस उसके बारे में सोच कर चंद कतरे आंसुओं के निकल आते हैं और आँखों के किनारे गिले हो जाते हैं...
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
जब वो छोटी सी (स्कूल जाने लगी थी ) थी तभी से मैं जब भी उससे मिलने जाता था, तो अपने प्यार के रूप में कुछ कागज के नोट उसे दे आता था, हालाँकि तब मुझे दिक्कत होती थी, लेकिन उसके लिए मैं मैनेज कर लेता था। फिर मैंने कमाना शुरू किया। इधर कमाना शुरू किया और उधर उसको देना भी कम होता गया...
खैर! अभी कुछ दिन पहले मेरी मौसी ने घर पर काम करने के लिए एक महरी लगाई। घर को साफ करते-करते उस महरी ने काफी कुछ साफ कर दिया। पर जब मौसी को पता चला तो काफी देर हो चुकी थी, वो काफी दुखी हुईं।
लेकिन मेरी बहन वो कुछ ज्यादा ही दुखी थी और रो भी रही थी, जब उससे रोने का कारण पुछा तो पता चला की मैंने उसे अबतक जितने भी पैसे दिए थे, उन सब पर उसने मेरा नाम लिख कर उन्हें सहेज कर रखा हुआ था...
यानि वो एक-एक नोट उसने बहुत संभाल कर रखा था, जिन्हें मैं उसे दे आता था
वो महरी ना जाने कब उन्हें चुरा कर ले गई।
जब मुझे सारी बात पता चली तो मुझे बहुत दुःख हुआ, और अपनी बहन पर प्यार भी आया। मैंने तुंरत उसे फोन किया और कहा की तेरे कितने पैसे चोरी हो गए। तो वो बड़ी सफाई से सच छिपा गयी, क्योंकि वो जानती है की उतना ही दुःख मुझे भी होता, जितना की वो महसूस कर रही थी...
मैंने उसे कहा की मैं उसे और पैसे दे दूंगा...
वो बोली ठीक है... उसकी इस बात से उसने सोचा होगा की भैया को तसल्ली हो गयी, और मैं इधर सोच रहा था की शायद उसे तसल्ली हो जाये...
लेकिन उन पैसो को खोने का गम उसके साथ साथ मेरे भी मन में आ गया था...आखिर वो पैसे नहीं थे, मेरी बहन ने तो उन्हें मेरी निशानी बना कर रखा था...
उस महरी के लिए वो बेशक चाँद कागज के रूपये थे, लेकिन उन रुपयों की अहमियत मेरी बहन के दिल में कहीं ज्यादा थी...
अपनी बहन के इस अनकहे प्रेम को क्या कहूं समझ नहीं आता, बस उसके बारे में सोच कर चंद कतरे आंसुओं के निकल आते हैं और आँखों के किनारे गिले हो जाते हैं...
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' ah! sach mey mujhe bhee pdh kr dukh ho rha hai, kabhe kabhee kuch aisa ho jat hai jisko hum jantey bhee nahee kee koee kitne pyar se humaree kaun see yad ko smbhal kr kis rup mey apne pass rekh rha hai, or uske kho jane pr kitna vichlit ho rha hai, bhaee bahn ke is sunder risthe ke sansmarn ko sun kr accha bhee lgaa or dukh bhee hua, thanks for sharing with us'
regards
मीत जी काश ऐसा भाई बहन का प्यार सबको नसीब हो बाकी दुख भी हुआ कि आपके दिये प्यार (वो कागज के रूपये) जो किसी के लिए भी केवल कागज के रूपये होंगे लेकिन वो तो बहन ही बता सकती है कि वो चंद कागज के रूपये कितने अनमोल कीमती और प्यार से सराबोर थे खैर आप एक और कागज का रूपया उन्हें दे दो ताकि उनका कुछ तो दुख कम हो बहुत ही अच्छा लिखते हो आप
बात पैसों की नही प्यार की है ...सच में मुझे ही जब पढ़ कर इतना दुःख हो रहा है ..किसी के लिए वह महज पैसे थे और किसी के लिए अनमोल यादें ..
किसी के लिए ये पैसे थे सिर्फ पैसे और किसी के लिए अनमोल प्यार था। आपने जीवन के दोनो पहलू एक साथ दिखा दिये।
भावुक आदमी हो यार !कोई बात नही जीवन में ऐसी घटनाएं होती रहती है
मीत भाई यही तो हे एक सच्चा प्यार, जिस मे कुछ भी चाह नही ...आप भाई बहिन का प्यार हमेशा फ़लता फ़ुलता रहे.
धन्यवाद
meet ji padh kar bahut dukh bhi hua aur khushi bhi dukh isliye ki payar ke prateek vo kagaj ke note...noton se jayada ..amulya the,khair jis bai ne unhe uthaya usne unko sahej kar rakhne ke liye nahi apitu apni chhoti moti jaruraton ke liye churaya hoga..jarur us ka kuchh bhala hua hoga un noton se..kuchh apne bachcho par kharch kiye honge ya apna tan dampne ko kapde liye honge...aap mano na mano un paison se us bechari chor bai ko jo khushi hui hogi vah bhi kam nahi hogi...aapka pyar salamat rahe.ye samjhana ki kisi jarurat mand bahan ke kaam aa gaye ve note...jara is nazriye se sochana bahut achchha lagega aapko.
jo hota hai aache ke liye hota hai.isse aapko ye to pata chala ki aapki bahen bhi aapko utna hi pyar karti hai jitna aap karte hai.jahan tak baat noto ki hai vo to aap use phir se de hi denge
मीत जी आपको आपकी बहन इसी तरह प्यार करती रहे ईश्वर से यही कामना करती हूं। मैं इस बंधन की कमी को पल पल महसूम करती हूं, इसकी अहमियत मुझसे बेहतर कौन समझेगा। भगवान आप दोनो बहन भाई के प्यार को बुरी नजरों से बचाये।
mmet ji mane lekh pura kar diya h
आपका यह प्यार सदा बना रहे. बहिन भाई का रिश्ता ऐसा ही होता है. सस्नेह.
बहुत दिनों बाद इधर आना हुआ ..सुंदर यादें फ़िर इक्कठी हो जाएँगी ..आपका प्यार हमेसा बना रहे यही प्रार्थना है भगवान से
सच मे बहुत ही सुन्दर लेख. भाई बहन का प्यार ही एसा होता है. आपके इस लेख ने आखो मे आसु ला दिये. बहुत सुन्दर. लिखते जाये.
भाई बहन का प्यार ऐसा ही होता है। काश, यह उस महरी को भी पता होता।
bhai-bahen ke payaar ka ek bahetsareen post.. apane mujse durr baste hue bhai aur bahen ki yaad diladi...ye post padte padhte mai jaise mere bachpan mai pahoch gai.. kuch purani haseen yaadein taza karadi...
bahut hi shukriya aapka meetji....
kaash ki kuch aur log samajh paate is rishte ki mahatta....aapne bhaavuk kar diya
Dil ko Chhoo liya hai is Chhotese prasang ne!... sehaj kar rakha hua pyaar jab aankhon se ozal ho jaata hai...to dukh ke baadal achaanak hi ghir aaten hai!...
मीत जी,पढ़कर दुख हुआ. लेकिन समाज में हमें कुछ घटनाएं सच्चाई से रूबरू करा जाती हैं। जहां उस महरी के लिए कागज के नोट की कीमत थी वहीं आपको भी इस बात का एहसास हुआ कि आपकी बहन आपको कितना प्यार करती है।
@ Meet jee , its really very very painful to know abt lost of your brothers life. I can feel the time you are facing with pain sorrow and grief as nothing can fulfil this loss in your life. I have no words to express my grief towards this loss. i am with your family in this bad phase and pray to god to give you and your family courage to bear it and peace to the soul of your brother.."
ВОТ! БУДТО! [url=http://tutledy.ru/map.html]карта сайта[/url]