ये मेरे भाई का दो साल पहले republic day के दिन परेड में शामिल होने का फोटो है....इस साल उसकी जगह कोई और था...क्योंकि वो तो चला गया...सोचा आपसे बाँट लूँ...
२ दिन में हर उस जगह गया जहाँ वो और में स्कूल के बाद पूरे दिन घूमा करते थे, एक ही सायकल पर दोनों यहाँ वहां घुमते रहते थे...मेरठ के केंट इलाके में... एक-एक रोड पर उसका एहसास बसा है...पेडों पर, दीवारों पर, वहां की हवा में उसकी हँसी अब भी सुनायी देती है... मैं कोई ना कोई ऐसी बात कहता था, जिससे उसे हँसी आए और वो देर तक खिलखिलाता रहता था...
कभी-कभी इंसान इतना बेबस हो जाता है, की ना वो जी ही पता है और ना मर ही पात है... बस तडपता है... जैसे वो मुझे तडपता छोड़ गया...कभी कभी मन करता है की कुदरत से लड़-झगड़ कर उसे वापस ले आऊँ... और फ़िर से सब कुछ पहले जैसा हो जाए... फ़िर में उसे कहीं ना जाने दूँ...
लेकिन में कुछ नहीं कर सकता... क्योंकि में बेबस हूँ...उसके कमरे की दीवारें, उसकी माँ की नजरे, वो बालकोनी जहाँ वो खड़ा होकर मेरा इंतज़ार करता था और मुझे देखते ही दूर से ही गाना गाना शुरू कर देता था... आज वो सब जगह खाली है... उसका कमरा वो बालकोनी, उसकी माँ की नजरें सब मुझसे सवाल करते हैं की कहाँ है तेरा साथी.....? और मेरी आंखों में नमी के आलावा कुछ नहीं होता...
उसकी हँसी और आवाज हर पल कानो में गूंजती रहती है... लेकिन वो मुझे नजर नहीं आता... बस एक खालीपन और कमी सी महसूस होती है... जो कभी ना भरेगी...
______________
हृदयबेध,
मन में नीरसपन
तुम बिन जीवन
एक खालीपन
नयनो में
सावन, जलन-जलन...
सीने में
अग्नि, तपन-तपन...
कहाँ गए
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
______________
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
२ दिन में हर उस जगह गया जहाँ वो और में स्कूल के बाद पूरे दिन घूमा करते थे, एक ही सायकल पर दोनों यहाँ वहां घुमते रहते थे...मेरठ के केंट इलाके में... एक-एक रोड पर उसका एहसास बसा है...पेडों पर, दीवारों पर, वहां की हवा में उसकी हँसी अब भी सुनायी देती है... मैं कोई ना कोई ऐसी बात कहता था, जिससे उसे हँसी आए और वो देर तक खिलखिलाता रहता था...
कभी-कभी इंसान इतना बेबस हो जाता है, की ना वो जी ही पता है और ना मर ही पात है... बस तडपता है... जैसे वो मुझे तडपता छोड़ गया...कभी कभी मन करता है की कुदरत से लड़-झगड़ कर उसे वापस ले आऊँ... और फ़िर से सब कुछ पहले जैसा हो जाए... फ़िर में उसे कहीं ना जाने दूँ...
लेकिन में कुछ नहीं कर सकता... क्योंकि में बेबस हूँ...उसके कमरे की दीवारें, उसकी माँ की नजरे, वो बालकोनी जहाँ वो खड़ा होकर मेरा इंतज़ार करता था और मुझे देखते ही दूर से ही गाना गाना शुरू कर देता था... आज वो सब जगह खाली है... उसका कमरा वो बालकोनी, उसकी माँ की नजरें सब मुझसे सवाल करते हैं की कहाँ है तेरा साथी.....? और मेरी आंखों में नमी के आलावा कुछ नहीं होता...
उसकी हँसी और आवाज हर पल कानो में गूंजती रहती है... लेकिन वो मुझे नजर नहीं आता... बस एक खालीपन और कमी सी महसूस होती है... जो कभी ना भरेगी...
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हृदयबेध,
मन में नीरसपन
तुम बिन जीवन
एक खालीपन
नयनो में
सावन, जलन-जलन...
सीने में
अग्नि, तपन-तपन...
कहाँ गए
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
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© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
नयनो में
सावन, जलन-जलन...
सीने में
अग्नि, तपन-तपन...
कहाँ गए
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
"मीत आपके दुःख मे हम सब आपके साथ हैं....कुदरत का नियम है जाने वाले कभी वापस नही आते ...और हम मनुष्य इस नियम को पालन करने के लिए विवश हैं....आपके भाई की सुनहरी यादे आपके साथ हैं...उन्ही यादों के सहारे आपने खालीपन को भरना है आपको...और कोई रास्ता भी तो नही...."
Regards
सीने में
अग्नि, तपन-तपन...
कहाँ गए
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
मन में जो गहरे बसते हैं उनकी अनुभूति गहरी होती है. प्रकृति की नियम के आगे सब एक हैं. आपको अपने भाई के साथ बीते खूबसूरत पलों को जीना है, इसी में जीवन की सार्थकता है
भाई की यादें हैं, इतना तो सताएंगी ही।
क्या कहें!! बस, इतन ही-हम सब आपके साथ हैं. धीरज धरें.
मीत आपके दुःख को समझ सकते है । आपके पास आपके भाई की यादें एक अनमोल रत्न है ।
मीत पढ़कर आँखे नम हो गई उस दिन की तरह जब आपने कमेट में इस बात का जिक्र किया था। मीत यार एक बात फिर से कह रहा हूँ कहूँ ना कहूँ ये भी सोच रहा हूँ पर अपने को रोक भी नही पा रहा कि मीत क्या पता हमारे से ज्यादा उसकी जरुरत कहीं किसी ओर को थी। यह सोचने के सिवाय हम क्या कर सकते है बेबस है। कुदरत के आगे किसकी चली है। दोस्त भाई की जगह तो नही ले सकते पर उस खालीपन को तो कुछ कम तो कर सकते है हम।
हृदयबेध,
मन में नीरसपन
तुम बिन जीवन
एक खालीपन
नयनो में
सावन, जलन-जलन...
सीने में
अग्नि, तपन-तपन...
कहाँ गए
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
नि:शब्द हूँ इसके आगे...............
मीत ! भाई धीरज धरो, हम सब आप के साथ प्राथना करते है कि, भगवान आप के भाई को स्वर्ग मे स्थान दे, ओर आप को आप के परिवार को हिम्मत दे, यह खालीपन तो अब हमेशा रहेगा.... लेकिन हम आप कोई भी अब कुछ नही कर सकता.
बस होस्सला रखॊ.
शब्दों से आपके मन के शून्य को नहीं भर सकता जानता हूं। बस इतना कहना है कि आप इस दुख में ख़ुद को अकेला न समझें।
apne man ke niyam itne kathin na banaye ki andar ka krodh ya dhuaan ya kahun ki aapka kshobh aapko todne lage......man ko sambhalne ka sankalp lijiye aur yaadon ko hamesha meethe man se sametiye .....
Meet ji aapke blog par pahli baar aana hua
aapke bhai army mein desh ki seva karte rahe ye to gurv ki baat hai
unki yaadon ko taqat ki tarah apne pass rakhe
आज ही आपका आलेख पढा.....रो ही पडे हम....अपने भाई की याद ही आपको जीने की शक्ति देगा.....क्या कह सकते हें....बस कि हम आपके साथ है।
ये कहना कि आपका दुख समझ सकता हूँ,गलत होगा......हाँ बस साझा कर सकता हूँ
आपके ब्लौग पर ऊपर पढ़ा कि आप पायलट बनना चाहते थे
मेरी भी आकांक्षा कुछ ऐसे ही थी,कितु आँखों पर नजर का चश्मा चढ़ गया और एयर-फोर्स की जगह फिर आर्मी में आ गया...
आपके भाई साब सेना में थे क्या?
नयनो में
सावन, जलन-जलन...
सीने में
अग्नि, तपन-तपन...
कहाँ गए
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
यादें ऐसे ही तडपाती हैं मित्र। लेकिन आप हिम्मत से काम लें और इन यादों को ही अपना सहारा बनाएं, धीरे धीरे सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
Aapke bhai ko maine aapki rachna me mahsus kiya.Aapke dukh me main bhi sharik hoon.
हृदयबेध,
मन में नीरसपन
तुम बिन जीवन
एक खालीपन
............बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
कभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!
मीत.आप के दुःख में हमभी आप के साथ हैं.
अपनों के न होने का दुःख बहुत होता है.और जो दिल के करीब होते हैं उन की यादें
ही बस सहारा देती हैं.गुजरा हुआ कोई पल वापस नहीं ला सकते लेकिन आँखें बंद कर के उन बीते पलों को दोबारा जी लेते हैं.
आज आप की पोस्ट देखी,दिल भर आया.
... भाई की कल्पनाओं की उडान अभी शेष है, उन कल्पनाओं की उडान के लिये संकल्प लेकर उडान भरो, भाई को अपनी यादों मे बसा कर उड चलो।
मैं समझ सकती हूं,क्योंकि मैं भी कुछ ऐसे ही दुख से गुजर रही हूं। क्या कहें।
apno se bichadna aur unki yaadon ka satana... hum jante hai... Meetji, bahut hi gaherai se apane dard ko jana hai aur piya hai.. aur yaha bekhubi pesh kiya hai..
आपके साथ मेरी सहानुभूति है । अपने को अकेला न समझे दुनिया बहुत बड़ी है फिर आप तो संसार के साथ सैर करने की तमन्ना रखते है आपके सात यह वाकया घटित हुआ इसके लिए मेरे दिल में भी दुख है ।
तुम थे संग-संग॥?
तुम बिन जीवन
एक खालीपन...
no words to say ...god blees
Meet,
Ye rachnaa padhneke baad samajh nahee paa rahee ki kya likhun...
Maut nahee, hame to zindageese darke rehna hai ki, mautpebhee useekaa pehraa hai...
Mautpe ek kavita apne "kavita" blogpe post kar doongee....kabhi samay mile to zaroor padh lena..
SOUL is eternal my dear .May GOD give you the courage to bear this.