तेरी चिता की आग में,
बरबस ही जल रहे हैं.
तेरे साथ गुज़रे लम्हे,
पल-पल पिघल रहे हैं।
आई है रुत ये कैसी?
ये कैसा गुल खिला है।
खुशियों का मेरा मौसम,
आज खाक में मिला है।
लगता है, ढल गई है,
हर शाम ज़िन्दगी की।
और उम्र से ही पहले,
अब हम भी ढल रहे हैं।
तेरे साथ गुज़रे लम्हे,
पल-पल पिघल रहे हैं।
भूलने की तो कोशिश बहुत की पर कमबख्त दिल से निकलता ही नहीं...दिन तो जैसे-तैसे निकल ही जाता है, पर रात होते ही फिर से ख्यालों में आने लगता है...इतना क्यों रुलाता है तू...
"चले गए तुम तो जहाँ से,
हुयी ज़िन्दगी पराई...
तुम्हें मिल गया ठिकाना,
हमें मौत भी ना आयी..."
------------
इक आह करी होगी,
हमने ना सुनी होगी।
जाते-जाते तुमने,
आवाज तो दी होगी।
हर वक्त यही है गम,
उस वक्त कहाँ थे हम।
कहाँ तुम चले गए...
हर चीज पे अश्कों से,
लिखा है तुम्हारा नाम।
ये रस्ते, घर, गलियां,
तुम्हें कर ना सके सलाम...
हाय! दिल में रह गयी बात,
जल्दी से छुडा कर हाथ,
कहाँ तुम चले गए...
अब यादों के कांटे,
इस दिल में चुभते हैं,
ना दर्द ठहरता है,
ना आंसू रुकते हैं...
तुम्हें ढूंढ रहा है प्यार...
हम कैसे करें इकरार?
के हाँ तुम चले गए...
चिट्ठी ना कोई संदेस,
जाने वो कौन सा देस,
जहाँ तुम चले गए...
इस दिल पे लगा के ठेस...
कहाँ तुम चले गए...
बस यही चंद गीत छोड़ गए हो गुनगुनाने के लिए...
(उपरोक्त गीत उड़न खटोला और दुश्मन फ़िल्म के हैं,
बरबस ही जल रहे हैं.
तेरे साथ गुज़रे लम्हे,
पल-पल पिघल रहे हैं।
आई है रुत ये कैसी?
ये कैसा गुल खिला है।
खुशियों का मेरा मौसम,
आज खाक में मिला है।
लगता है, ढल गई है,
हर शाम ज़िन्दगी की।
और उम्र से ही पहले,
अब हम भी ढल रहे हैं।
तेरे साथ गुज़रे लम्हे,
पल-पल पिघल रहे हैं।
भूलने की तो कोशिश बहुत की पर कमबख्त दिल से निकलता ही नहीं...दिन तो जैसे-तैसे निकल ही जाता है, पर रात होते ही फिर से ख्यालों में आने लगता है...इतना क्यों रुलाता है तू...
"चले गए तुम तो जहाँ से,
हुयी ज़िन्दगी पराई...
तुम्हें मिल गया ठिकाना,
हमें मौत भी ना आयी..."
------------
इक आह करी होगी,
हमने ना सुनी होगी।
जाते-जाते तुमने,
आवाज तो दी होगी।
हर वक्त यही है गम,
उस वक्त कहाँ थे हम।
कहाँ तुम चले गए...
हर चीज पे अश्कों से,
लिखा है तुम्हारा नाम।
ये रस्ते, घर, गलियां,
तुम्हें कर ना सके सलाम...
हाय! दिल में रह गयी बात,
जल्दी से छुडा कर हाथ,
कहाँ तुम चले गए...
अब यादों के कांटे,
इस दिल में चुभते हैं,
ना दर्द ठहरता है,
ना आंसू रुकते हैं...
तुम्हें ढूंढ रहा है प्यार...
हम कैसे करें इकरार?
के हाँ तुम चले गए...
चिट्ठी ना कोई संदेस,
जाने वो कौन सा देस,
जहाँ तुम चले गए...
इस दिल पे लगा के ठेस...
कहाँ तुम चले गए...
बस यही चंद गीत छोड़ गए हो गुनगुनाने के लिए...
(उपरोक्त गीत उड़न खटोला और दुश्मन फ़िल्म के हैं,
इन्हें आब में सुनता रहता हूँ)
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
अपने अहसासों को शब्दों में ढाल कर एक साथी, एक भाई को याद किया आपने।
तेरे साथ गुज़रे लम्हे,
पल-पल पिघल रहे हैं।
अब उसकी यादें ही रह गई। क्या कहूँ कभी शब्द साथ नही देते। और कुछ चीजें अपने वश में नही होती हैं। हाथ से फिसल जाती हैं।
आपकी भावनाये समझी जा सकती है.
बहुत सुंदर भाव हैं...
उन ख़ुशनुमा लम्हों को याद कर जो साथ बिताएं हैं, ज़िंदगी को आगे बढ़ाएं।
khushi men bhi kahin ik dard ki halaki jhalak to hai;
bhara hai ghav per under abhi baki kasak to hai.
kisi ki yaad ka ab aur pukhta sakshya kya hoga,
nahayee aansuon me ratdin bhigi palak to hai.
bhale hi ho gaya hai door
'BHardwaj'nazaron se,
hawaon men ghulee uske badan ki ik mahak to hai.
Chandrabhan Bhardwaj
यादे तो हमेशा साथ रहेंगी और यूँ ही हर पल याद आएँगी ..
sach kaha hai kisis ne "bas yadein rah jati hai hai :-) bahut pyara likha aapne :-)
New Post :
खो देना चहती हूँ तुम्हें..
चले गए तुम तो जहाँ से,
हुयी ज़िन्दगी पराई...
तुम्हें मिल गया ठिकाना,
हमें मौत भी ना आयी..."
" bhut dard bikhra pdha hai is post mey.... jeevan ka sach yhee hai ke jane wale ke sath kisee ko bhee maut nahee aatee, ager aisa hotta to dukh naam kee koee cheej duniya mey nahee hotee hai na.... to fir iss sach ke sath hee jeena hai kee jane waala chla gya hai, lakin bhut sare khushnuma pal kee yaden bhee to hain na uskee.... to fir unhee sunhare palon ko yaad kiya jaye ...hai na"
Regards
apno ka saath chhootna sachmuch kitna trasad hota hai,mahsoos kiya ja sakta hai.
ऒह....
बहुत ही भावुक प्रस्तुति...
आप की रचना की संवेदना दिल को छूती है...बहुत भावः पूर्ण लेखन...वाह.
नीरज
भाई दिल को छेद गई आप की कविता, हिम्मत रखे, अब यही यादे तो बची है, अगर आप ही हिम्मत हारे गए तो बाकीयो को कोन हिम्मत देगा. भाई हिम्मत रखॆ
धन्यवाद
यादें हैं, सताएंगी ही
रह रह कर याद आएंगी ही
जज्बात हैं कैसे बह जाएं
ऑंखें हैं, भर आएंगी ही।
meri yahi request hai aap se.....ye samay bas beet jaane den.....nav-nirman jag ka pehla niyam hai,,...
jo hamaare paas hai, unka mahatva sa
यह यादें ही अब सबसे बडी पूंजी है।
आपकी रचनाये पढ़ कर आखो में आसूं आ गए. क्या कहे कहने के लिए शब्द ही नही मिल रहे है. धेर्य से काम ले.
दोनो ही गीत दिल को छू लेते हैं। कहां तुम चले गए गीत किसी अपने की याद, अपने आप ही दिलाते है जो हमारे काफी करीब होते है।
good blog and work
Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji
http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/
Etc...........
har ek labz mai dard ka ahesas hai
kitna gum hai jeevan mai uska andaaz hai... kat jayega ye lamha aayega ujala,agar apne aapko aajse aapne sambhala....
bas aur kya kahe hum... meetji..
तेरे साथ गुज़रे लम्हे,
पल-पल पिघल रहे हैं।
बहुत खूबसूरत लफ्ज़
खूबसूरत अंदाज़
Jindagi chalne ka naam hai....chalte rahiye....manjil badli bhi ja sakti hai.....shayad nayi manjil pehle se bhi jayada khoobsoorat ho....ek naya ahsaas karaye.....