इस गड्तंत्र दिवस पर तू बहुत याद आया, परेड में तेरे कदमों के निशां थे, आवाज थी पर तू नहीं था.. जहाँ भी रहे खुश रहे... love u...
तुम गुजर के जा चुके,
ना गम की गुजरती रात है...
हर तरफ अब ज़िन्दगी में,
दर्द का अलाप है...
मिट नहीं रहा है अबतक,
अनछुआ एहसास है...
मन के वीरान रास्तो पर,
बसी तेरी पदचाप है...
मिटती नहीं है, लाख मिटाऊँ!
अमिट ये तेरी छाप है...
तारों जितना दूर है तू,
फिर भी लगता है पास है...
---मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
तुम गुजर के जा चुके,
ना गम की गुजरती रात है...
हर तरफ अब ज़िन्दगी में,
दर्द का अलाप है...
मिट नहीं रहा है अबतक,
अनछुआ एहसास है...
मन के वीरान रास्तो पर,
बसी तेरी पदचाप है...
मिटती नहीं है, लाख मिटाऊँ!
अमिट ये तेरी छाप है...
तारों जितना दूर है तू,
फिर भी लगता है पास है...
---मीत
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