देखो रात की सवारी आ रही...
मीठे गीत गुनगुना रही,
देखो रात की सवारी आ रही...
सांझ के रथ पर हो सवार,
चाँद-तारों से कर श्रृंगार...
आकाश का बना आँचल,
सूर्य को उसमे छिपा रही...
देखो रात की सवारी आ रही...
अन्धकार से केश लहराएँ,
मुख पे चांदनी सजाये...
लग रहा कोई नयी-नयी,
दुल्हन जैसे इठला रही है...
देखो रात की सवारी आ रही...
मंद हो चला उजाला,
लील, निशा के रूप का प्याला...
जग को मीठे स्वपनों में ले जा रही है...
देखो रात की सवारी आ रही...
मीठे गीत गुनगुना रही,
देखो रात की सवारी आ रही...
---मीत
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
मीठे गीत गुनगुना रही,
देखो रात की सवारी आ रही...
सांझ के रथ पर हो सवार,
चाँद-तारों से कर श्रृंगार...
आकाश का बना आँचल,
सूर्य को उसमे छिपा रही...
देखो रात की सवारी आ रही...
अन्धकार से केश लहराएँ,
मुख पे चांदनी सजाये...
लग रहा कोई नयी-नयी,
दुल्हन जैसे इठला रही है...
देखो रात की सवारी आ रही...
मंद हो चला उजाला,
लील, निशा के रूप का प्याला...
जग को मीठे स्वपनों में ले जा रही है...
देखो रात की सवारी आ रही...
मीठे गीत गुनगुना रही,
देखो रात की सवारी आ रही...
---मीत
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